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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या है इसके पीछे की कहानी?

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे सरकार में हलचल मच गई है। उनका इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से है, और अब एनडीए को नए उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवारों की तलाश करनी होगी। क्या हरिवंश या कोई अन्य नेता इस पद के लिए उपयुक्त होंगे? जानें इस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में और क्या संभावनाएं हैं।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या है इसके पीछे की कहानी?

जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया, जिससे न केवल सरकार में हलचल मच गई, बल्कि उनके उत्तराधिकारी की खोज भी शुरू हो गई है.


गठबंधन को लगा झटका

धनखड़ के इस्तीफे की खबर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चौंका दिया है। एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, लेकिन अब उन्हें नए उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया में तेजी लानी होगी.


संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा

धनखड़ पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं, इसलिए किसी मौजूदा राज्यपाल का नाम भी इस दौड़ में हो सकता है। भाजपा के पास कई वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हैं, जो इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी इस संदर्भ में एक विकल्प हो सकते हैं.


हरिवंश का नाम भी चर्चा में

जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हरिवंश, जो वर्तमान में उपसभापति हैं, का नाम भी संभावित उम्मीदवारों में शामिल है। वे 2020 से इस पद पर हैं और सरकार के लिए एक भरोसेमंद नेता माने जाते हैं.


धनखड़ का विवादास्पद कार्यकाल

धनखड़ का तीन साल का कार्यकाल कई बार विपक्ष के साथ टकराव में रहा। उन्होंने कई संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी, जिससे सरकार को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ा.


स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा

74 वर्षीय धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा देते हुए कहा कि स्वास्थ्य कारणों से और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, वे तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहे हैं. उनका कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था और 2027 तक चलने वाला था.


न्यायाधीश यशवंत वर्मा का मामला

धनखड़ के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, राज्यसभा में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हुआ, जब विपक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव रखा, जिसे धनखड़ ने सदन में रखा.


भविष्य की संभावनाएं

अब जब उपराष्ट्रपति का पद खाली हो गया है, केंद्र सरकार और एनडीए को जल्द ही नए नाम पर विचार करना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस दिशा में आगे बढ़ती है - एक अनुभवी नेता, शांत नेतृत्वकर्ता या फिर कोई नया चेहरा.