उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: चुनाव प्रक्रिया और राज्यसभा का संचालन

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकों की सलाह के आधार पर तत्काल पद छोड़ने का निर्णय लिया। यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत दिया गया है।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
जगदीप धनखड़ की उम्र 74 वर्ष है और उन्होंने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था। उन्हें अगस्त 2027 तक इस पद पर बने रहना था। उनके इस्तीफे का अर्थ है कि अब वह राज्यसभा के सभापति नहीं रहेंगे। यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया है। इस स्थिति में लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
अगला उपराष्ट्रपति चुनाव कब होगा?
चूंकि उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया है, इसलिए जल्द ही नया चुनाव आयोजित किया जाएगा। संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, जब उपराष्ट्रपति पद छोड़ते हैं, तो सरकार को उस पद को भरने के लिए शीघ्र चुनाव कराना अनिवार्य है। अनुच्छेद 67 के अनुसार, जो भी नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पांच वर्षों तक कार्य करेगा।
राज्यसभा का संचालन
राज्यसभा का संचालन कौन करेगा?
जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक राज्यसभा का उपसभापति सदन के सभी कार्यों का संचालन करेगा। इसके साथ ही, वह सदन की बैठकों का संचालन भी करेगा। नियमानुसार, नए उपराष्ट्रपति का चुनाव अगले छह महीनों के भीतर होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव चुनाव आयोग द्वारा कराया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करते हैं। यह मतदान सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली के माध्यम से होता है, जिसमें सांसद उम्मीदवारों को अपनी पसंद के अनुसार रैंक करते हैं।
किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए कुल वैध मतों के आधे से अधिक मत प्राप्त करने होते हैं। यदि पहले चरण में किसी को भी पर्याप्त वोट नहीं मिलते हैं, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है। उसके बाद, उस उम्मीदवार के वोट दूसरे और तीसरे प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक किसी को पर्याप्त वोट नहीं मिल जाते।