उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की चर्चा तेज

उपराष्ट्रपति पद का खाली होना
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद अब खाली हो गया है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने धनखड़ के इस्तीफे की औपचारिक सूचना जारी कर दी है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत की राह साफ हो गई है। जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी और इसके बाद उम्मीदवारों के नामों का भी खुलासा होगा। इस बीच, अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगला उपराष्ट्रपति दलित समुदाय से होगा, मुस्लिम चेहरा होगा या फिर जेडीयू से किसी बड़े नाम पर दांव खेला जाएगा।
बीजेपी का मजबूत राजनीतिक समीकरण
राजनीतिक समीकरणों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में विपक्ष पर भारी है और उपराष्ट्रपति के चुनाव में उसे बहुमत की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। हालांकि, जातीय और राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए पार्टी हर पहलू का मूल्यांकन कर रही है। अगले साल बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए बीजेपी रणनीतिक रूप से नाम पर मुहर लगा सकती है।
थावर चंद गहलोत का नाम प्रमुख
उपराष्ट्रपति पद के लिए चर्चा में सबसे प्रमुख नाम थावर चंद गहलोत का है। वे दलित समुदाय से हैं और मध्य प्रदेश से कई बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। सामाजिक न्याय मंत्री के रूप में कार्य करते हुए, गहलोत को एक बेदाग छवि वाले और संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। यदि उनका नाम आगे बढ़ता है, तो बीजेपी को दलित वोट बैंक में सकारात्मक संदेश देने का अवसर मिल सकता है।
ओम माथुर की दावेदारी
सिक्किम के वर्तमान राज्यपाल ओम माथुर भी इस दौड़ में शामिल हैं। वे राजस्थान से हैं और आरएसएस के पुराने प्रचारक रहे हैं। कई राज्यों में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल चुके माथुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माना जाता है। उनके पास संगठनात्मक अनुभव और कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है, जो उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
आरिफ मोहम्मद खान का विकल्प
यदि बीजेपी मुस्लिम समुदाय को संदेश देना चाहती है, तो आरिफ मोहम्मद खान का नाम एक बड़ा विकल्प हो सकता है। बुलंदशहर, यूपी से ताल्लुक रखने वाले खान वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उनकी छवि प्रगतिशील मुस्लिम नेता की है और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर उनके विचार बीजेपी की विचारधारा के करीब माने जाते हैं। यदि बीजेपी उन्हें उपराष्ट्रपति बनाती है, तो विपक्ष के पास विरोध का बड़ा कारण नहीं बचेगा।
नीतीश कुमार और हरिवंश का नाम
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी चर्चा में है, हालांकि इसकी संभावना कम मानी जा रही है। लेकिन उनकी पार्टी से राज्यसभा सांसद हरिवंश का नाम गंभीरता से लिया जा रहा है। हरिवंश फिलहाल राज्यसभा के उपसभापति हैं और एनडीए के भीतर अच्छी पकड़ रखते हैं। यदि एनडीए के भीतर अन्य नामों पर सहमति नहीं बनती, तो हरिवंश एक सर्वसम्मति का विकल्प हो सकते हैं।
रमा देवी और रामनाथ ठाकुर का नाम
2025 में बिहार विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, ऐसे में एनडीए का फोकस राज्य के सामाजिक समीकरणों को साधने पर है। शिवहर से तीन बार सांसद रहीं रमा देवी का नाम भी उपराष्ट्रपति पद के लिए उछल रहा है। वे दलित समुदाय से हैं और उनके दिवंगत पति का बिहार की पिछड़ी जातियों में मजबूत जनाधार रहा है। वहीं, रामनाथ ठाकुर का नाम भी तेजी से उभरकर सामने आया है। वे पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं और वर्तमान में जेडीयू से राज्यसभा सांसद हैं।
अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा
उपराष्ट्रपति पद के लिए होड़ में शामिल सभी नाम अपने-अपने स्तर पर मजबूत हैं। लेकिन अंतिम निर्णय इस आधार पर होगा कि बीजेपी किस दिशा में राजनीतिक संकेत देना चाहती है। चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी, लेकिन यह तय है कि उपराष्ट्रपति की रेस में जातीय गणित, सियासी समीकरण और नेतृत्व की विश्वसनीयता को समान महत्व दिया जा रहा है।