उमर खालिद ने UAPA मामले में आरोपों को बताया मजाक

उमर खालिद का UAPA केस
उमर खालिद UAPA केस: दिल्ली दंगों की कथित साजिश से संबंधित मामले में यूएपीए के तहत दर्ज एफआईआर को उमर खालिद ने गुरुवार को मजाक करार दिया। खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेई की अदालत में अपनी दलीलें पेश करते हुए आरोपों का विरोध किया।
एफआईआर की वैधता पर सवाल
पाइस ने अदालत में कहा कि जिस एफआईआर का उल्लेख किया जा रहा है, उसमें 51 लोगों की मौत का जिक्र है, जबकि ये मामले पहले से अलग-अलग एफआईआर में दर्ज हैं। उन्होंने तर्क किया कि यह एफआईआर कानूनी दृष्टि से आवश्यक नहीं है और इसमें गंभीर अपराधों का आधार नहीं है, जैसा कि दिल्ली पुलिस ने बताया है। यदि साजिश का आरोप सही होता, तो इसे अन्य मामलों से जोड़ा जाता।
दंगों से जुड़े मामलों की चर्चा
पाइस ने अदालत को याद दिलाया कि दंगों से जुड़े कई मामलों में अदालतों ने कठोर टिप्पणियां की थीं और कई अभियुक्तों को बरी किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी ने पहले से तय कर लिया था कि किसे फंसाना है और उसके बाद दस्तावेज तैयार कर चार्जशीट दाखिल की। पाइस ने कहा, 'पहले तय होता है कि इस व्यक्ति को फंसाना है, फिर देखते हैं इसे कैसे किया जाए। यह रिवर्स इंजीनियरिंग है।'
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता ने दिल्ली पुलिस की पहली पूरक चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि इसमें लगाए गए आरोप गवाहों के बयानों से मेल नहीं खाते। चार्जशीट में खालिद को 'देशद्रोह का अनुभवी' बताया गया और आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2016 में भारत के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द कहे थे। पाइस ने दावा किया कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि खालिद ने ऐसे शब्द कहे ही नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में 2 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। खालिद ने अब इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने आठ अन्य सह-आरोपियों की जमानत याचिकाएं भी खारिज की थीं।
अगली सुनवाई की तारीख
पाइस ने कहा कि इस मामले की एफआईआर न केवल असंगत है बल्कि कानूनी दृष्टि से कमजोर भी है। उनका तर्क था कि इस मामले में जांच एजेंसी का पूर्वाग्रह स्पष्ट है और इस तरह के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली तारीख पर सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया।