Newzfatafatlogo

ऊंट के पेशाब का सेवन: धार्मिक मान्यता या स्वास्थ्य संकट?

एक वायरल वीडियो ने ऊंट के पेशाब के सेवन पर बहस को जन्म दिया है, जिसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे गंभीर खतरा बताया है। कई मुस्लिम देशों में इसे औषधि के रूप में उपयोग किया जा रहा है, जबकि WHO ने इसे जानलेवा माना है। क्या परंपराएं विज्ञान पर भारी पड़ सकती हैं? जानें इस लेख में इसके स्वास्थ्य प्रभाव, धार्मिक मान्यताएं और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं।
 | 
ऊंट के पेशाब का सेवन: धार्मिक मान्यता या स्वास्थ्य संकट?

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है, जिसने स्वास्थ्य और धार्मिक मान्यताओं के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है। इस वीडियो में एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने बताया है कि कई मुस्लिम देशों में ऊंट के पेशाब को औषधि के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इस प्रथा को कुछ धार्मिक मान्यताओं से जोड़ा जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे गंभीर स्वास्थ्य खतरा मानते हैं.


क्या परंपराएं विज्ञान पर भारी पड़ सकती हैं?

इस वीडियो के प्रकाश में आने के बाद यह बहस छिड़ गई है कि क्या धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं वैज्ञानिक प्रमाणों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। WHO और अन्य स्वास्थ्य संगठनों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऊंट का पेशाब पीना जानलेवा हो सकता है और इससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.


धार्मिक मान्यता या स्वास्थ्य संकट?

वीडियो में यह दावा किया गया है कि सऊदी अरब, यमन और अन्य मुस्लिम देशों में कुछ लोग ऊंट के पेशाब को कैंसर, हेपेटाइटिस और त्वचा रोगों के इलाज के लिए पीते हैं। यह मान्यता एक हदीस से उत्पन्न होती है, जिसमें पैगंबर मोहम्मद ने कुछ बीमार लोगों को ऊंट का दूध और पेशाब पीने की सलाह दी थी। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ इसे खतरनाक मानते हैं.


WHO की सख्त चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2015 में MERS (Middle East Respiratory Syndrome) के प्रकोप के दौरान चेतावनी दी थी कि ऊंट का कच्चा दूध या पेशाब पीने से बचना चाहिए। WHO ने बताया कि ऊंट MERS-CoV वायरस का वाहक है, जो इंसानों में गंभीर श्वसन संबंधी रोग का कारण बन सकता है, और इससे मृत्यु दर 35% तक पहुंच सकती है.


वैज्ञानिकों के अनुसार, कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं

2023 में प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च में यह पाया गया कि ऊंट के पेशाब में कोई चिकित्सीय लाभ नहीं है। दो कैंसर मरीजों में कच्चा पेशाब पीने से ब्रुसेलोसिस जैसी गंभीर संक्रमणकारी बीमारी पाई गई। इसके अलावा, ऊंट के मूत्र में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और हानिकारक तत्व गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा कर सकते हैं.


सोशल मीडिया पर बढ़ी बहस

इस वीडियो पर सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ ने इसे धार्मिक आस्था से जोड़ा, जबकि कई ने इसे 'अवैज्ञानिक', 'घातक' और '21वीं सदी में अंधविश्वास का प्रतीक' बताया। एक यूजर ने लिखा, 'जब विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है, तब भी ऐसी प्रथाओं पर विश्वास करना मानवता के लिए खतरा है.'


पर्यावरणीय और सामाजिक असर भी गंभीर

स्वास्थ्य के अलावा, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऊंट के पेशाब का अंधाधुंध उपयोग समुद्री और पर्यावरणीय प्रदूषण को भी जन्म दे सकता है। इसका उत्पादन और खपत किसी भी स्वास्थ्य या पर्यावरण मानक के अधीन नहीं है, जिससे यह प्रथा और भी अधिक खतरनाक बन जाती है.


प्रारंभिक दावे, लेकिन ठोस प्रमाण नहीं

कुछ शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला स्तर पर ऊंट के पेशाब में एंटी-कैंसर, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होने का दावा किया है, लेकिन अभी तक इन दावों को कोई विश्वसनीय नैदानिक समर्थन नहीं मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रारंभिक परिणामों के आधार पर किसी भी पारंपरिक प्रथा को अपनाना जोखिम भरा हो सकता है.