एयर इंडिया विमान दुर्घटना: फ्लैप और लैंडिंग गियर पर उठे सवाल

दुर्घटना का संक्षिप्त विवरण
अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 242 यात्रियों में से 241 की जान चली गई। यह दुखद घटना न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है। विमान लंदन की ओर जा रहा था, और वहां भी शोक की लहर दौड़ गई है। इस हादसे की जांच की जा रही है ताकि इसके कारणों का पता लगाया जा सके। विशेषज्ञों के बीच फ्लैप और लैंडिंग गियर पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है।
फ्लैप की भूमिका पर संदेह
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि फ्लैप इस दुर्घटना का एक प्रमुख कारण हो सकता है, जिसके चलते विमान ऊपर जाने के बजाय नीचे आ गया और पायलट उसे नियंत्रित नहीं कर सका। इस कारण विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और कई लोगों की जान चली गई।
लैंडिंग गियर पर उठते सवाल
विमान के टेकऑफ के कुछ ही क्षण बाद लैंडिंग गियर को ऊपर कर लिया जाता है। लेकिन दुर्घटना के समय के वीडियो में यह स्पष्ट है कि टेकऑफ के काफी समय बाद तक लैंडिंग गियर ऊपर नहीं हुआ था, जो किसी तकनीकी समस्या का संकेत हो सकता है।
भारतीय वायु सेना के अनुभवी पायलट कैप्टन एहसान खालिद ने कहा कि लैंडिंग गियर का हमेशा नीचे रहना एक गंभीर संकेत है। टेकऑफ के बाद इसे ऊपर कर लिया जाना चाहिए, सिवाय इसके कि कोई विशेष परिस्थिति हो।
मानवीय भूल या तकनीकी समस्या?
#WATCH | Kolkata, West Bengal: On the AI-171 plane crash, Commercial Pilot Captain Asraf Sheikh says, “…It could be human error. One pilot might have mistakenly raised the flaps instead of the landing gear. That’s the only explanation based on my experience… The second… pic.twitter.com/Ko2yP5ZCkv
— ANI (@ANI) June 13, 2025
AI-171 विमान दुर्घटना पर कमर्शियल पायलट कैप्टन अशरफ शेख ने कहा कि यह संभवतः मानवीय भूल हो सकती है। हो सकता है कि पायलट ने गलती से लैंडिंग गियर के बजाय फ्लैप को ऊपर कर दिया हो। इसके अलावा, हानिकारक ईंधन, हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी, और पक्षियों के टकराने की संभावना पर भी विचार किया जाना चाहिए।
लैंडिंग गियर का महत्व
लैंडिंग गियर विमान के टेकऑफ और लैंडिंग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। जब विमान जमीन पर होता है, तो उसका पूरा वजन लैंडिंग गियर पर होता है, जिसे आमतौर पर पहिए कहा जाता है। टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर को ऊपर किया जाता है और लैंडिंग से पहले इसे फिर से नीचे किया जाता है। इसका नियंत्रण पूरी तरह से पायलट के हाथ में होता है।