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कंगना रनौत का मनाली दौरा: बाढ़ प्रभावितों का विरोध और नुकसान का जायजा

कंगना रनौत ने मनाली में बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें स्थानीय निवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोग उनके देर से आने से नाराज थे और काले झंडे लहराते हुए नारे लगाए। इस दौरान, उन्होंने बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लिया और स्थानीय नेताओं से बातचीत की। दौरे ने राजनीति और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी।
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कंगना रनौत का मनाली दौरा: बाढ़ प्रभावितों का विरोध और नुकसान का जायजा

कंगना रनौत का मनाली दौरा

शिमला से मिली जानकारी के अनुसार, कंगना रनौत ने गुरुवार को मनाली उपमंडल के पटलीकूहल क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। वहां के निवासियों ने उनके देर से आने पर नाराजगी जताई और जैसे ही उनका काफिला वहां पहुंचा, भीड़ ने काले झंडे लहराते हुए 'गो बैक कंगना' और 'आप देर से आईं' जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। इस विरोध के दौरान स्थानीय लोगों और बीजेपी नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।


बाढ़ और बारिश से तबाही

25 और 26 अगस्त को हुई भारी बारिश ने कुल्लू और मनाली क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया। अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया, जिससे एक बहुमंजिला होटल और चार दुकानों को बहा ले गया। मनाली-लेह हाईवे और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग का एक बड़ा हिस्सा भी ध्वस्त हो गया। मनाली का राइट बैंक रोड, जो कुल्लू शहर और बस स्टैंड से जुड़ता है, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है.


स्थानीय नेताओं और ग्रामीणों से मुलाकात

कंगना ने अपने दौरे की शुरुआत मनाली उपमंडल के सोलंग और पलचान गांवों से की, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की और नुकसान का जायजा लिया। पटलीकूहल पहुंचने पर, ग्रामीणों ने उन्हें चेताया कि सोलंग गांव की स्थिति बेहद नाजुक है, क्योंकि ब्यास नदी पहाड़ी को काट रही है। उन्होंने कंगना से आग्रह किया कि नदी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए तुरंत चैनलाइजेशन की आवश्यकता है, अन्यथा पूरे गांव को खतरा हो सकता है.


राजनीतिक और सामाजिक संदेश

कंगना रनौत के इस दौरे ने एक बार फिर राजनीति और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि संकट के समय नेताओं को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर राहत कार्यों की निगरानी करनी चाहिए। हालांकि, सांसद ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया और आश्वासन दिया कि वह स्थानीय लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचाएंगी। लेकिन विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि जनता अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की अपेक्षा कर रही है.