कनाडा में भारतीयों के लिए वीजा नियमों में बदलाव, हजारों आवेदन हो सकते हैं रद्द
                           
                        कनाडा में वीजा नियमों में संभावित बदलाव
नई दिल्ली: कनाडा जाने की इच्छा रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए एक नई चुनौती सामने आ सकती है। कनाडाई सरकार एक ऐसा विधेयक लाने की योजना बना रही है, जो अस्थायी वीजा को बड़े पैमाने पर रद्द करने की शक्ति प्रदान करेगा। सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम विशेष रूप से भारत से आने वाले कथित फर्जी आवेदनों को रोकने के लिए उठाया जा सकता है।
रिपोर्ट में इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप कनाडा (IRCC), कनाडाई सीमा सेवा एजेंसी (CBSA) और अन्य अमेरिकी विभागों के हवाले से बताया गया है कि यह प्रावधान भारत से अस्थायी वीजा आवेदकों की धोखाधड़ी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
नए विधेयक की विशेषताएँ
यह नया नियम कनाडा के 'स्ट्रॉन्ग बॉर्डर्स बिल' का हिस्सा है। विधेयक में कहा गया है कि विशेष परिस्थितियों जैसे महामारी या युद्ध के दौरान एक साथ कई वीजा रद्द किए जा सकते हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि कनाडाई अधिकारी इसका उपयोग कुछ विशेष देशों के वीजा धारकों को निशाना बनाने के लिए कर सकते हैं, जिनमें भारत प्रमुख है।
इस नियम के अंतर्गत अस्थायी निवासी शामिल होंगे, जिनमें विदेशी छात्र, कार्य परमिट धारक और पर्यटक शामिल हैं।
इमिग्रेशन वकील सुमित सेन ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को बताया कि यदि यह विधेयक पारित होता है, तो हजारों आवेदन एक साथ रद्द किए जा सकते हैं, क्योंकि इससे संबंधित मंत्री को व्यापक शक्तियाँ मिल जाएंगी।
उन्होंने 2007 का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भी लंबित अर्जियों के बोझ को कम करने के लिए फाइलें बंद कर दी गई थीं। यह स्थिति तब है जब कनाडा में वीजा आवेदनों को मंजूरी देने में पहले से ही काफी देरी हो रही है। उदाहरण के लिए, स्टार्टअप वीजा के तहत उद्यमियों को 35 साल (420 महीने) तक का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
भारतीय छात्रों पर प्रभाव
कनाडा सरकार की सख्ती का असर भारतीय छात्रों पर पहले से ही दिखाई देने लगा है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में 74% भारतीय छात्रों के स्टडी परमिट अस्वीकृत कर दिए गए, जबकि अगस्त 2023 में यह आंकड़ा केवल 32% था। इसका मतलब है कि भारत से पढ़ाई के लिए कनाडा जाना अब बेहद कठिन हो गया है।
कनाडा सरकार वर्तमान में नए स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या को कम करने की कोशिश कर रही है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव भारतीयों पर पड़ा है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की सरकार पर देश में बढ़ती आप्रवासन-विरोधी भावना के कारण नए लोगों की संख्या कम करने का भारी दबाव है। सरकार इस महीने अपनी नई आप्रवासन स्तर योजना पेश करने वाली है।
