कपिल देव ने युवा क्रिकेटर्स को जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए

कपिल देव का चंडीगढ़ में युवा क्रिकेटर्स से संवाद
कपिल देव क्रिकेट पाठ, चंडीगढ़: विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने चंडीगढ़ के युवा क्रिकेटरों को जीवन के अनमोल पाठ सिखाए। कपिल ने चंडीगढ़ प्रीमियर लीग (सीपीएल) के फाइनल में भाग लेने का वादा किया था, लेकिन एशिया कप के लिए दुबई जाना पड़ा। फिर भी, उन्होंने युवा क्रिकेटरों से मिलने का अवसर नहीं छोड़ा और गुरुवार को सेक्टर-38 के रानी लक्ष्मीबाई ऑडिटोरियम में उनसे बातचीत की। इस दौरान कपिल ने अपने जीवन और क्रिकेट के अनुभव साझा किए।
कपिल ने कहा, "चंडीगढ़ में एक अलग तरह का जादू है। मैं यहीं बड़ा हुआ, शायद अगर यहीं नहीं होता तो क्रिकेटर भी नहीं बनता। आप लोग भाग्यशाली हैं कि चंडीगढ़ जैसे शहर में खेल रहे हैं। यहां 15 मिनट में कहीं भी पहुंच सकते हैं, जबकि बड़े शहरों में यह संभव नहीं है।" उन्होंने माता-पिता को सलाह दी कि बच्चों को खेलने दें, सिफारिश न करें और मैदान पर न आएं। उन्होंने कहा, "हम खिलाड़ियों को मंच दे सकते हैं, लेकिन उड़ान उन्हें खुद भरनी है। सिफारिश से ऊपर पहुंचने पर जीवन भर पछतावा रहेगा।"
खेल और शिक्षा का संतुलन
युवा क्रिकेटरों के सवालों का जवाब देते हुए कपिल ने बताया कि उन्हें पढ़ाई से ज्यादा खेल पसंद था। लेकिन अब उन्हें इस बात का अफसोस है कि अगर थोड़ी और पढ़ाई कर लेते तो बेहतर होता। उन्होंने युवाओं को सलाह दी, "खेल के साथ-साथ पढ़ाई को भी समय दो।" कपिल ने कहा कि जीत का जश्न अस्थायी होता है। जब उनसे जीत के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "क्लास में पहले आने जैसा अहसास होता है, लेकिन तीन दिन बाद नया मैच होता है। जीत इतिहास बन जाती है, इसलिए इतिहास बनाने पर ध्यान केंद्रित करो।"
इंजरी से बचाव और मेहनत का महत्व
कपिल ने इंजरी से बचने के सवाल पर कहा, "मैदान पर डटे रहो, मेहनत करो। बिस्तर पर लेटे रहोगे तो इंजरी आएगी। एक्सरसाइज करो, इससे इंजरी कम होगी और आप उसका सामना कर पाओगे।" बॉलिंग वर्कलोड पर कपिल ने अपने पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने कहा, "मेरे कोच कहते थे, 100 बॉल डालना भी कम है। इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। आज के कोच 20-30 बॉल डलवाते हैं, लेकिन मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।"
खेल का आनंद लें, संघर्ष नहीं
जब युवाओं ने कपिल से उनके संघर्ष के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "मैंने कभी संघर्ष नहीं किया, मैंने खेल का आनंद लिया। अगर प्रेशर महसूस हो रहा है तो खेल छोड़ दो।" कपिल ने बताया कि कोच की डांट और सजा खिलाड़ियों को बेहतर बनाने के लिए होती है। उन्होंने हंसते हुए कहा, "हर कैच छूटने पर मैदान का चक्कर लगाना पड़ता था। एक दिन में 25-26 चक्कर तो हो ही जाते थे।"
जीवन की सीख और प्रेरणा
कपिल ने अपने हीरो के बारे में बताया कि बचपन में स्कूल का हेड बॉय उनका आदर्श था, जो कहीं भी जा सकता था। बाद में बड़े भाई और क्रिकेटर जीआर विश्वनाथ उनके रोल मॉडल बने। उन्होंने कहा, "मेरे हीरो बदलते रहे और मैं आगे बढ़ता रहा।" कपिल ने सीनियर्स की मदद को सबसे बड़ी सीख बताया। उन्होंने गावस्कर का जिक्र करते हुए कहा, "वो कहते थे कि 100 रन दो ओवर में नहीं बनते। पहले 15 रन बनाओ, फिर 30, छोटे-छोटे टारगेट बनाकर आगे बढ़ो।"
हार न मानने का संदेश
कपिल ने करियर की सबसे बड़ी सीख साझा करते हुए कहा, "जिंदगी में कभी हार मत मानो। कमजोर हो तो हार जाओगे, मजबूत हो तो जीत जाओगे। कमिटमेंट, विश्वास और अनुशासन ही सब कुछ है।" उन्होंने अपनी खराब आदतों का जिक्र करते हुए बताया कि वो कंचे और पतंग खेलते थे, जिससे उनकी फिटनेस बनी रही। लेकिन उन्होंने फिर जोर दिया, "24 घंटे खेलो, लेकिन पढ़ाई को मत भूलो।"