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कबूतरबाजी पर रोक: पेटा इंडिया की सफल कार्रवाई

पेटा इंडिया ने हाल ही में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में कबूतरबाजी के 33 अवैध आयोजनों को रोकने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यह कार्रवाई पशु क्रूरता के खिलाफ एक मजबूत कदम है, जिसमें कबूतरों के शोषण को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। जानिए इस पहल के पीछे की कहानी और कबूतरों पर होने वाली क्रूरता के बारे में।
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कबूतरबाजी पर रोक: पेटा इंडिया की सफल कार्रवाई

कबूतरबाजी पर रोकथाम की पहल

कबूतरबाजी पर रोक: पेटा इंडिया ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सहयोग से पिछले दो महीनों में 20 जिलों में 33 अवैध कबूतरबाजी आयोजनों को सफलतापूर्वक रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल ही में फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना और संगरूर में तीन आयोजनों को इस सप्ताह रोका गया। यह कार्रवाई पशु क्रूरता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है और कबूतरों के शोषण को समाप्त करने की दिशा में एक उपलब्धि है. 


पेटा इंडिया ने अपनी शिकायत में बताया कि दिसंबर 2020 में पंजाब के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने स्पष्ट किया था कि कबूतरबाजी सहित सभी पशु दौड़ पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 के तहत निषिद्ध हैं। इस प्रकार के आयोजन न केवल अवैध हैं, बल्कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 और PCA अधिनियम की कई धाराओं का उल्लंघन करते हैं। विशेष रूप से, PCA अधिनियम की धारा 11(1)(एम)(ii) जानवरों को आपस में लड़ाने या प्रतिस्पर्धा के लिए उकसाने को अपराध मानती है. 


शारीरिक और मानसिक पीड़ा का कारण 


माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए. नागराजा एंड ऑर्स (7 मई 2014) में स्पष्ट किया कि जानवरों की दौड़ जैसी गतिविधियां पशु क्रूरता के दायरे में आती हैं। कबूतरबाजी में कबूतरों को प्रतिस्पर्धात्मक और हानिकारक परिस्थितियों में मजबूर किया जाता है, जो उनके लिए शारीरिक और मानसिक पीड़ा का कारण बनता है. 


कबूतरों पर होने वाली क्रूरता


कबूतरबाजी में इस्तेमाल होने वाले कबूतरों को तंग और गंदे पिंजरों में रखा जाता है, जिससे उन्हें तनाव और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। परिवहन के दौरान, उन्हें तार के पिंजरों या कार्डबोर्ड के डिब्बों में कसकर पैक किया जाता है, जिससे चोट और दम घुटने का खतरा रहता है। कई बार इन पक्षियों को अफीम जैसे नशीले पदार्थ दिए जाते हैं, जिससे उनकी सेहत पर गंभीर असर पड़ता है। पेटा इंडिया ने कहा, “कबूतरों को भी इंसानों की तरह दर्द और डर महसूस होता है, और वे लोगों के मनोरंजन के लिए कैद या शोषित नहीं होना चाहते.”


पुलिस की सराहनीय कार्रवाई


पेटा इंडिया ने पंजाब पुलिस, विशेष रूप से श्री अमरदीप सिंह राय, आईपीएस, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (यातायात), पंजाब, और चंडीगढ़ व हरियाणा पुलिस की कानून लागू करने और कबूतरों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए उनकी त्वरित कार्रवाई की सराहना की है। संगठन ने अधिकारियों से आयोजकों की पहचान कर उन्हें दंडित करने, सभी अनुमतियां रद्द करने और भविष्य में ऐसे आयोजनों को रोकने का आग्रह किया है.