कर्नाटक हाईकोर्ट ने भगदड़ मामले में राज्य सरकार को दी कड़ी चेतावनी

भगदड़ की घटना पर हाईकोर्ट की सुनवाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु में हुई भगदड़ से संबंधित गिरफ्तारियों पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को सख्त चेतावनी दी है। अदालत ने सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हुए घटना और उसके बाद की स्थिति पर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। महाधिवक्ता (एजी) से सरकार की कार्रवाई के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए अदालत ने तीखे सवाल पूछे।
जांच और गिरफ्तारी की स्थिति
अदालत को सूचित किया गया कि भगदड़ की जांच अब अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के अधीन है। इसके बावजूद, बेंगलुरु सेंट्रल क्राइम ब्रांच (सीसीबी) गिरफ्तारियां कर रही है और कब्बन पार्क पुलिस आरोपियों को अदालत में पेश कर रही है। इस बीच, अटॉर्नी जनरल ने अदालत को बताया कि मामले के ट्रांसफर में कुछ चूक हुई है, जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
हाईकोर्ट के सवाल
अदालत ने निम्नलिखित सवाल पूछे:
1. विजय उत्सव मनाने का निर्णय कब और किसने लिया?
2. यातायात को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
3. जनता को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए गए?
4. आयोजन स्थल पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध थीं या नहीं?
5. समारोह में उपस्थित लोगों की संख्या का आकलन पहले से किया गया था?
6. घायल व्यक्तियों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिली या नहीं?
7. घायलों को अस्पताल पहुंचाने में कितना समय लगा?
8. क्या 50,000 या उससे अधिक की भीड़ के प्रबंधन के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई गई थी?
9. क्या कार्यक्रम के आयोजन के लिए अनुमति ली गई थी?
राज्य सरकार का स्पष्टीकरण
राज्य सरकार ने इन सवालों के जवाब देने के लिए समय मांगा है और आशा जताई है कि वह जल्द ही अपना स्पष्टीकरण अदालत को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करेगी।
अटॉर्नी जनरल का पक्ष
एजी ने अदालत को बताया कि आरोपित लोग गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं और जांच एजेंसियों के बीच कुछ विसंगतियां भी सामने आई हैं। इसलिए, उन्होंने कहा कि "न्याय की प्रक्रिया में बाधा न आए" इस कारण आगे की जानकारी अदालत में सार्वजनिक रूप से नहीं दी जा सकती।
आरोपियों का दावा
सोमवार को गिरफ्तार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के अधिकारी निखिल सोसले ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए अदालत में याचिका दायर की। वहीं, कार्यक्रम के आयोजक डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने समारोह में सभी को आमंत्रित किया था, जिससे मामला और भी विवादित हो गया है।