कांग्रेस की चुनावी रणनीति: वोट चोरी का मुद्दा और राहुल गांधी की चुनौती
बिहार चुनाव परिणामों की समीक्षा
कांग्रेस पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा नहीं की है। जब राष्ट्रीय जनता दल ने समीक्षा बैठक का आयोजन किया, तो उसमें कोई ठोस चर्चा नहीं हुई, और तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया। इसके विपरीत, कांग्रेस ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई।
राहुल गांधी की उपस्थिति
कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में इस बैठक के लिए राहुल गांधी की उपस्थिति की वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा की गई, जिसमें लिखा था, 'तूफान आ रहा है, एसआईआर की सबसे बड़ी बैठक के लिए पहुंचे राहुल'। राहुल गांधी को लेकर सोशल मीडिया पर एक सुनियोजित अभियान चल रहा है। इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की, जिसमें दिसंबर के पहले हफ्ते में 'वोट चोरी' पर एक बड़ी रैली करने का निर्णय लिया गया।
वोट चोरी का मुद्दा
राजनीतिक विमर्श के बजाय, मामला 'वोट चोरी' पर केंद्रित हो गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी को चोरी शब्द से विशेष लगाव है। पहले उन्होंने 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया, फिर 'सारे मोदी चोर होते हैं' कहा, और अब चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, इन आरोपों का कांग्रेस या उसकी सहयोगी पार्टियों को कोई लाभ नहीं हुआ है।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति
कांग्रेस नेताओं को यह समझना चाहिए कि यदि वे मेहनत करते, ईमानदारी से गठबंधन बनाते और चुनावी वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए सीटों का बंटवारा करते, तो हारने पर वोट चोरी के आरोपों पर लोगों को विश्वास होता। लेकिन यदि पहले दिन से यह संदेश हो कि कांग्रेस ठीक से नहीं लड़ रही है, तो फिर वोट चोरी के आरोपों पर कोई कैसे भरोसा करेगा?
बिहार चुनाव की स्थिति
बिहार चुनाव में कांग्रेस ने अपने ही गठबंधन को कमजोर करने का काम किया। चुनाव से पहले कई जनाधार वाले नेताओं को हटाकर, कांग्रेस में नौकरी करने वाले नेताओं को चुनावी जिम्मेदारियों में लगाया गया। तेजस्वी यादव को रोकने के लिए सभी प्रयास किए गए, लेकिन इसके परिणामस्वरूप लेफ्ट ने कांग्रेस की जीती हुई सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए।
मतदाता सूची की स्थिति
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के जमुई जिले के पांच लोगों को मंच पर बुलाया, जिनका नाम मतदाता सूची से कट गया था। सवाल यह है कि जब अंतिम मतदाता सूची जारी की गई थी, तो इन लोगों ने आवेदन क्यों नहीं किया? क्या कांग्रेस या राजद के बूथ लेवल एजेंट्स ने इनका नाम जुड़वाने के लिए कोई पहल की थी?
राहुल गांधी की रणनीति
राहुल गांधी की एसआईआर के खिलाफ यात्रा या 'वोट चोरी' के खिलाफ रैली वास्तव में कांग्रेस की कमजोरियों को छिपाने का प्रयास है। एसआईआर कोई चुनावी मुद्दा नहीं है और न ही इसके जरिए वोट चोरी हो रही है। उलटे, एसआईआर के माध्यम से वोट चोरी का रास्ता बंद हो रहा है।
महात्मा गांधी का सत्याग्रह
महात्मा गांधी ने चंपारण में पहले सत्याग्रह के बाद कहा था कि सत्य इस रूप में प्रस्तुत होना चाहिए कि उसे कहीं भी प्रस्तुत किया जा सके। लेकिन राहुल गांधी का 'वोट चोरी' का सत्य केवल उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही प्रस्तुत होता है और हर जांच में गलत साबित हो जाता है।
