कांवड़ यात्रा 2025: विवाद और कानून की परिभाषा

कांवड़ यात्रा का आगाज़
कांवड़ यात्रा 2025: सावन का महीना शुरू होते ही उत्तर भारत में एक प्रमुख धार्मिक यात्रा 'कांवड़ यात्रा' 11 जुलाई से आरंभ हो गई है। जैसे ही यह यात्रा शुरू हुई, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मच गई है। हाल के दिनों में यात्रा के दौरान कई घटनाएं हुईं, जिनमें कांवड़ियों ने यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों और ढाबों में तोड़फोड़ की। इस दौरान कांवड़ियों ने ढाबा मालिकों और मुस्लिम व्यवसायियों पर पहचान छिपाकर ढाबा चलाने का आरोप लगाया।
क्या मुस्लिम व्यक्ति हिंदू नाम से ढाबा चला सकता है?
भारतीय संविधान के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को व्यवसाय करने का अधिकार है। होटल या ढाबों के मामले में, खाद्य विभाग द्वारा एक लाइसेंस जारी किया जाता है, जिसमें संचालक का नाम लिखा होता है। सभी होटल या ढाबा संचालकों के लिए यह लाइसेंस लेना अनिवार्य है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर निरीक्षण किया जा सके।
कानून की व्याख्या
भारतीय कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य नाम से व्यवसाय चलाना अपराध नहीं है। हालांकि, यदि ऐसा जानबूझकर समाज में भ्रम फैलाने या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए किया जा रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मामलों में होटल या ढाबा संचालकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
पिछले साल कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटल या ढाबा संचालकों को अपने और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया था। सरकार का कहना था कि यह आदेश भ्रम से बचने के लिए था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि सरकार किसी भी होटल या ढाबा संचालक को नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।