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कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश: QR कोड पर रोक, लेकिन लाइसेंस दिखाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के दौरान होटलों को QR कोड प्रदर्शित करने के आदेश पर रोक लगा दी है, लेकिन भोजनालयों को उनके लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र दिखाने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने यात्रा के अंतिम दिन सभी होटल मालिकों को कानूनी जिम्मेदारियों का पालन करने का आदेश दिया। इस आदेश को चुनौती देने वाले शिक्षाविदों का कहना है कि QR कोड से भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग बढ़ सकती है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बारे में।
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कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश: QR कोड पर रोक, लेकिन लाइसेंस दिखाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश

सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश कांवड़ यात्रा पर: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों को क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यह आदेश तीर्थयात्रियों को होटलों के मालिकों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करने के लिए था, ताकि सुरक्षा और ट्रैकिंग में आसानी हो सके। हालांकि, अदालत ने भोजनालयों को उनके लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है।


यात्रा का अंतिम दिन और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश और न्यायमूर्ति कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मंगलवार को कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन का उल्लेख करते हुए कहा कि वह केवल इस मामले में आदेश पारित कर सकती है कि सभी होटल मालिकों को अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का पालन करना होगा। अदालत ने कहा, "हमें सूचना मिली है कि आज यात्रा का आखिरी दिन है। इस स्तर पर, हम केवल यह आदेश पारित कर सकते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के आदेश का पालन करेंगे।"


क्यूआर कोड का विवाद

कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए गंगा नदी से पवित्र जल लाते हैं और मांसाहार से परहेज करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले महीने आदेश जारी किया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटल को क्यूआर कोड दिखाना होगा, जिससे मालिकों की जानकारी प्राप्त की जा सके।


सर्वोच्च न्यायालय में मामला

इस आदेश को चुनौती देते हुए शिक्षाविद् अपूर्वानंद झा और अन्य ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि क्यूआर कोड से भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग बढ़ सकती है, जो समाज में विभाजन को और बढ़ावा देगा। इससे पहले भी, उच्चतम न्यायालय ने एक समान आदेश पर रोक लगाई थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था।


पिछले साल जारी इसी तरह के एक आदेश में होटलों को दुकानों के बाहर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश था, जिसे अदालत ने रोक दिया था। तब अदालत ने कहा था कि होटलों को केवल यह बताना होगा कि वे किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं, न कि मालिकों की व्यक्तिगत जानकारी।