कांवड़ यात्रा में देशभक्ति का अनोखा उदाहरण: 'ऑपरेशन सिंदूर'

कांवड़ यात्रा का नया आयाम
सावन के महीने में उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का माहौल भक्तिभाव से भरा हुआ है, लेकिन दिल्ली के छह युवाओं का समूह 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक कांवड़ यात्रा को एक नई दिशा दे रहा है। इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने न केवल अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन किया है, बल्कि देश के शहीद जवानों को भी श्रद्धांजलि दी है। सेना, वायुसेना और बीएसएफ के प्रतीकों से सजी इनकी कांवड़ लोगों में देशभक्ति की भावना को जागृत कर रही है।
सेना को समर्पित कांवड़
'ऑपरेशन सिंदूर' में शामिल युवाओं ने अपनी कांवड़ को विशेष रूप से सेना को समर्पित किया है। इस कांवड़ पर एक ओर वायुसेना और दूसरी ओर बीएसएफ के जवानों की झांकी बनाई गई है। जवानों की वर्दी में सजे मॉडल के साथ लहराता हुआ तिरंगा यह दर्शाता है कि यह यात्रा केवल गंगाजल लाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। युवाओं का कहना है कि यह कांवड़ शहीदों को समर्पित है और उनके बलिदान को याद करने का एक माध्यम है।
कांवड़ियों का भावनात्मक जुड़ाव
कांवड़ यात्रा में शामिल एक अनुभव ने बताया कि वह पिछले 14 वर्षों से कांवड़ लाते आ रहे हैं, लेकिन इस बार का अनुभव सबसे विशेष है। उन्होंने कहा, 'इस बार मैंने इसे सेना के भाइयों के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया है। हमारी सेना हमारे लिए दिन-रात बॉर्डर पर तैनात रहती है, इसलिए हमें भी उनके लिए कुछ करना चाहिए।' वहीं, अजय नाम के एक कांवड़िए ने बताया कि वे इस यात्रा को पहलगाम हमले में मारे गए लोगों की याद में कर रहे हैं। उनका मानना है कि समाज को सेना के बलिदान को समझना और सम्मान देना चाहिए।
धार्मिकता और राष्ट्रभक्ति का संगम
यह यात्रा हरिद्वार से दिल्ली तक केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रभक्ति की एक मिसाल बन चुकी है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से इन युवाओं ने यह साबित किया है कि श्रद्धा और समर्पण केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे रक्षकों के प्रति सम्मान और संवेदना का भी माध्यम हो सकता है। रास्ते भर इनकी कांवड़ चर्चा का विषय बनी रही, और लोग इनके जज्बे को सलाम करते नजर आए। इस यात्रा ने समाज में यह संदेश दिया कि देशभक्ति केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से भी प्रदर्शित की जा सकती है।