कारगिल विजय दिवस: याक की खोज ने खोली घुसपैठ की कहानी

कारगिल विजय दिवस:
कारगिल की पहाड़ियों में लड़ी गई लड़ाई में न केवल सैनिकों ने, बल्कि स्थानीय निवासियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, भारतीय सेना के शहीद जवानों का बलिदान अद्वितीय है। पाकिस्तान की घुसपैठ की जानकारी तब मिली जब एक नागरिक ने सेना को इसकी सूचना दी। इस संघर्ष में ताशी नामग्याल का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। रिपोर्टों के अनुसार, उस दिन उनका याक खो गया था, और उसे खोजने के लिए वे पहाड़ियों की ओर गए थे।
याक की वजह से घुसपैठ का पता चला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिस दिन घुसपैठियों का पता चला, ताशी नामग्याल अपने याक को खोजने पहाड़ियों पर गए थे। उन्हें अपना याक तो मिल गया, लेकिन उन्होंने कुछ संदिग्ध व्यक्तियों को भी देखा। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें लगा कि वे शिकारी हैं, इसलिए उन्होंने भारतीय सेना को इसकी सूचना दी।
नया जानवर था इसलिए हुई टेंशन
ताशी ने उस समय कहा था कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और हाल ही में उन्होंने नया याक खरीदा था। यह नया याक होने के कारण उन्हें चिंता थी, क्योंकि पुराना याक घर का रास्ता जानता था, लेकिन नया याक कहीं दूर चला जाता। यदि उनका याक नहीं खोता, तो शायद सेना को घुसपैठ की जानकारी मिलने में और समय लग सकता था।
जून से भारतीय सेना के कंट्रोल में आने लगी थीं चीजें
मई में शुरू हुई इस लड़ाई में भारतीय सेना ने धीरे-धीरे नियंत्रण प्राप्त करना शुरू कर दिया, जिससे पाकिस्तान की सेना कमजोर होने लगी। जुलाई में पाकिस्तान ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया। रिपोर्टों के अनुसार, इस लड़ाई का उद्देश्य भारत को सियाचिन से अलग करना था, जहां 1984 में भारत ने कब्जा किया था।