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काला जादू: असम के मायोंग गांव की रहस्यमय दुनिया

असम का मायोंग गांव काले जादू की राजधानी के रूप में जाना जाता है। यहां के लोग इस प्रथा में विश्वास करते हैं और इसे सदियों से निभा रहे हैं। गांव के बच्चे काले जादू की कला में पारंगत होते हैं, और यहां के लोग मानते हैं कि भूत-प्रेत उनकी मदद करते हैं। जानें इस रहस्यमय गांव की विशेषताएं और इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में।
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काला जादू: असम के मायोंग गांव की रहस्यमय दुनिया

काला जादू गांव की पहचान

काला जादू गांव: काला जादू एक ऐसी प्रथा है जो किसी व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जानी जाती है। इसे शैतानी और बुरी आत्माओं से संबंधित माना जाता है। इस नाम से ही लोग भयभीत हो जाते हैं। भारत में यह प्रथा सदियों से प्रचलित है और आज भी कई लोग इस पर विश्वास करते हैं।


काले जादू का केंद्र

काले जादू की राजधानी

भारत में एक ऐसा गांव है जिसे काले जादू की राजधानी माना जाता है। यह गांव काले जादू के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। असम में स्थित मायोंग गांव गुवाहाटी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के बारे में कहा जाता है कि इस गांव के हर बच्चे को काला जादू सीखने की क्षमता होती है।


गांव की विशेषताएं

कैसा है ये गांव?

मायोंग एक छोटा सा गांव है जो काले जादू के लिए जाना जाता है। यहां लोग विदेशों से भी काला जादू सीखने आते हैं। कहा जाता है कि यहां के लोग इंसानों को जानवर में बदलने की कला भी जानते हैं। बच्चों को भी कई प्रकार के टोटके सिखाए जाते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि भूत-प्रेत उनकी मदद करते हैं।


इतिहास की झलक

कौन था मायोंग का राजा?

महाभारत काल में घटोत्कच को मायोंग का राजा माना जाता था। उसने मायोंग से कई जादुई शक्तियां प्राप्त की थीं, जिनका उपयोग उसने महाभारत की लड़ाई में किया था। घटोत्कच भीम और हिडिंबा का पुत्र था। असम और बंगाल को काला जादू का प्रमुख केंद्र माना जाता है।