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किसान क्रेडिट कार्ड: बैंकों की मनमानी और किसानों की समस्याएं

किसान क्रेडिट कार्ड योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है, लेकिन बैंकों की मनमानी इस योजना की विश्वसनीयता को खतरे में डाल रही है। केंद्र सरकार ने 2019 में सभी शुल्क माफ करने का आदेश दिया था, फिर भी किसानों से अवैध वसूली की जा रही है। जानें कैसे डिजिटल KCC ने प्रक्रिया को सरल बनाया है, लेकिन बैंकों की अवैध वसूली ने किसानों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। इस लेख में हम किसानों की समस्याओं और समाधान की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे।
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किसान क्रेडिट कार्ड: बैंकों की मनमानी और किसानों की समस्याएं

किसान क्रेडिट कार्ड योजना की चुनौतियाँ

Kisan News: Kisan Credit Card: बैंकों की मनमानी, शुल्क माफी के बावजूद वसूली: किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना को किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा माना जाता है, लेकिन बैंकों की मनमानी इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही है। केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2019 में फसल ऋण पर 3 लाख रुपये तक सभी शुल्क माफ करने का निर्णय लिया था।


फिर भी, किसानों से प्रसंस्करण शुल्क (Processing Fee) और निरीक्षण शुल्क (Inspection Fee) वसूलने की शिकायतें लगातार आ रही हैं। यह स्थिति बिहार के किसानों की समस्याओं और डिजिटल KCC के फायदों को उजागर करती है। आइए, जानते हैं बैंकों की इस धोखाधड़ी की सच्चाई।


बैंकों की अवैध वसूली

बैंकों की अवैध वसूली Kisan News


केंद्र सरकार ने 4 फरवरी 2019 को किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) पर सभी सेवा शुल्क, जैसे प्रसंस्करण शुल्क, दस्तावेजीकरण शुल्क (Documentation Charges), और निरीक्षण शुल्क (Inspection Fee) माफ करने का आदेश दिया था। इसका उद्देश्य किसानों को सस्ता और सरल ऋण (Agricultural Loan) प्रदान करना था।


हालांकि, वास्तविकता कुछ और है। बिहार के किसान रमेश कुमार जैसे कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि बैंक KCC नवीनीकरण या नए ऋण पर 500 से 2,000 रुपये तक वसूल रहे हैं।


जब किसान सरकारी आदेश दिखाते हैं, तो बैंक कर्मचारी बहाने बनाते हैं, जैसे कि “सिस्टम में अपडेट नहीं हुआ।” यह सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता (Credibility) को कमजोर करता है और किसानों की जेब पर भारी पड़ता है।


डिजिटल KCC: राहत या जाल?

डिजिटल KCC: राहत या जाल?


किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना 1998 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य किसानों को बीज, उर्वरक, और अन्य आवश्यकताओं के लिए सस्ता ऋण प्रदान करना था। पहले इसके लिए बैंकों के चक्कर लगाने, ढेर सारे कागजात, और लंबा इंतजार करना पड़ता था। अब डिजिटल KCC ने प्रक्रिया को सरल बना दिया है।


किसान अब ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, बायोमेट्रिक के जरिए एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं, और कुछ ही दिनों में ऋण प्राप्त कर सकते हैं।


IDFC फर्स्ट बैंक जैसी संस्थाएं घर-घर सेवा प्रदान कर रही हैं। WAVE जैसे प्लेटफॉर्म से कार्ड नवीनीकरण (Card Renewal) मोबाइल से किया जा रहा है। छोटे और सीमांत किसान (Small and Marginal Farmers), पशुपालक, और स्वयं सहायता समूह इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन बैंकों की अवैध वसूली डिजिटल प्रगति पर धब्बा लगा रही है।


किसानों का दर्द और समाधान की आवश्यकता

किसानों का दर्द और समाधान की आवश्यकता


बैंकों की मनमानी से किसान परेशान हैं। मुजफ्फरपुर के रमेश कुमार का कहना है, “सुविधा के समय सिस्टम डाउन, लेकिन शुल्क काटने में सिस्टम तेज।” SBI, PNB, और ग्रामीण बैंक जैसे बैंकों के अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति न केवल किसानों के साथ अन्याय (Injustice) है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है।


किसानों को जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्हें सरकारी आदेशों की जानकारी रखनी चाहिए और अनुचित शुल्क की शिकायत दर्ज करानी चाहिए। RBI और नाबार्ड (NABARD) को बैंकों पर सख्ती बरतनी होगी। तभी किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना का असली मकसद पूरा होगा।