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कृषि संकल्प अभियान: किसानों के साथ संवाद करते कृषि वैज्ञानिक

कृषि संकल्प अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिकों ने जींद के विभिन्न गांवों में किसानों से संवाद किया। इस दौरान, उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ, धान की नई किस्मों, और पशुपालन से संबंधित जानकारी साझा की। वैज्ञानिकों ने मिट्टी और पानी की जांच के महत्व पर भी चर्चा की, जिससे किसानों को बेहतर कृषि प्रबंधन में मदद मिलेगी। जानें इस अभियान के बारे में और क्या जानकारी दी गई।
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कृषि संकल्प अभियान: किसानों के साथ संवाद करते कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिकों का किसानों से संवाद


  • डॉ. भास्कर ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ बताए

(जींद) : कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिंडारा और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के वैज्ञानिकों ने रविवार को कृषि संकल्प अभियान के तहत विभिन्न गांवों में जाकर किसानों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने खेती और पशुपालन से संबंधित समस्याओं का समाधान किया। गांव दनौदा खुर्द, सच्चाखेड़ा, और धर्मगढ़ में केंद्रीय लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के डॉ. भास्कर ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाने की सलाह दी, जो उनके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

करनाल से डॉ. अश्विनी कुमार ने धान की नई किस्मों और खरपतवार प्रबंधन के तरीकों पर जानकारी साझा की। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के डॉ. गौरव देशवाल ने पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने के उपाय बताए। उन्होंने गेहूं की फसल में आने वाली बीमारियों और उनके उपचार के बारे में भी विस्तार से बताया। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के डॉ. जोगेन्द्र और डॉ. प्रदीप शर्मा ने गेहूं की विभिन्न किस्मों की जानकारी दी।

मिट्टी और पानी की जांच के महत्व पर चर्चा

गेहूं के उत्पादन में वृद्धि के उपायों पर चर्चा की गई। कृषि विज्ञान केंद्र जींद के मौसम वैज्ञानिक डॉ. राजेश ने मौसम के प्रभावों पर प्रकाश डाला। गांव घोघडिय़ां, कुचराना खुर्द, और कुचराना कलां में मृदा वैज्ञानिक डॉ. धीरज पंघाल ने मिट्टी और पानी की जांच के तरीकों और उनके महत्व पर विचार साझा किए। केंद्र के इंजीनियर रवि ने मशीनों के संचालन और देखभाल के सही तरीके बताए।

डॉ. सुरेश राणा ने जल प्रबंधन और सिंचाई के क्षेत्रों में अनुसंधान की जानकारी दी। डॉ. सोनू ने पशुओं की देखभाल और दूध उत्पादन बढ़ाने के उपाय बताए। डॉ. रवि ने पशुधन और कुक्कुट आनुवंशिक संसाधनों की पहचान और संरक्षण के बारे में जानकारी दी। बागवानी, मत्स्य और इफ्को विभाग के कर्मचारियों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित जानकारी साझा की।