केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का विपक्ष पर हमला: क्या पाकिस्तान से बात होती है?

लोकसभा में गरमाया माहौल
लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया, जिससे सदन का माहौल गर्म हो गया। ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा के दौरान, उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को विशेष रूप से निशाना बनाया और पूछा, "क्या आपकी पाकिस्तान से बातचीत होती है?"
विपक्ष पर नरमी का आरोप
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने संसद में बार-बार स्पष्ट किया है कि हाल के आतंकी हमलों में पाकिस्तान का सीधा हाथ है। उन्होंने कहा, "हमारे पास ठोस सबूत हैं कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे, फिर भी विपक्ष सवाल उठाता है। क्या विपक्ष पाकिस्तान पर भरोसा करता है या भारत की सरकार पर?" शाह के इस बयान पर सत्ता पक्ष ने तालियां बजाईं, जबकि विपक्षी सांसदों ने शोर मचाना शुरू कर दिया।
अखिलेश यादव पर सीधा हमला
जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने बहस के दौरान सरकार से सवाल किया, तो शाह ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "आप बार-बार पाकिस्तान का जिक्र करते हैं, क्या आपकी उनसे बातचीत होती है?" इस सवाल ने सदन में हलचल मचा दी। विपक्ष ने इसे अनावश्यक हमला बताया, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे शाह की राजनीतिक चतुराई माना।
अखिलेश यादव की बोलती बंद! pic.twitter.com/LpSeTRfTmW
— BJP (@BJP4India) July 29, 2025
पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम पर भी हमला
अमित शाह ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, "मुझे दुख है कि इस देश के पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने पूछा कि क्या सबूत है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे। क्या वे पाकिस्तान का बचाव कर रहे हैं? किसे क्लीन चिट देना चाहते हैं?"
शाह ने कहा कि भारत के पास स्पष्ट प्रमाण हैं—आतंकियों के पास से पाकिस्तानी वोटर आईडी, पाकिस्तान निर्मित चॉकलेट, और अन्य वस्तुएं बरामद की गई हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेता पाकिस्तान के बचाव में बयान क्यों दे रहे हैं?
सरकार के रुख का बचाव
अमित शाह ने कहा कि भारत की सरकार आतंकवाद के खिलाफ कठोर रुख अपनाए हुए है, और सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से यह साबित कर दिया है कि भारत अब आतंकियों को बख्शने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद में विदेश मंत्री द्वारा दिए गए बयान को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है, खासकर जब तथ्यों के साथ पूरा घटनाक्रम देश के सामने है.