केंद्रीय मंत्री ने चंडीगढ़ में क्षेत्रीय बिजली सम्मेलन की अध्यक्षता की

बिजली की आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरनी): केंद्रीय विद्युत और आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में उत्तर भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक क्षेत्रीय बिजली सम्मेलन का आयोजन किया। उन्होंने बताया कि भारत ने मई 2024 में 250 गीगावॉट की अधिकतम बिजली मांग पूरी कर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है, जिससे देश अब बिजली की कमी से उबरकर 'बिजली में आत्मनिर्भर' बन चुका है।
इस सम्मेलन में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के ऊर्जा मंत्रियों के साथ-साथ संबंधित विभागों के सचिवों, विद्युत कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अपने संबोधन में, मनोहर लाल ने कहा कि भारत की विद्युत प्रणाली अब एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के रूप में विकसित हो चुकी है, जो 'एक राष्ट्र, एक ग्रिड' की अवधारणा को साकार करती है। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे परमाणु ऊर्जा सहित विभिन्न स्रोतों से पर्याप्त उत्पादन सुनिश्चित करें।
उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2034-35 तक भारत की अधिकतम विद्युत मांग लगभग 446 गीगावॉट तक पहुँचने की संभावना है, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर योजना बनानी होगी। इसके अलावा, उन्होंने आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में 50 वर्षों के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में ₹1.5 लाख करोड़ का प्रावधान करने की जानकारी दी, जिसका उपयोग राज्य अपने पारेषण ढाँचे को मजबूत करने में कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2014 में कुल स्थापित क्षमता में अक्षय ऊर्जा की भागीदारी 32 प्रतिशत थी, जो अप्रैल 2025 तक बढ़कर 49 प्रतिशत होने की उम्मीद है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे अपने हरित ऊर्जा गलियारों की योजनाओं को शीघ्रता से अंतिम रूप दें और नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद से संबंधित दिशा-निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करें।
उन्होंने स्मार्ट मीटरिंग प्रणाली पर जोर देते हुए कहा कि सभी सरकारी संस्थानों और कॉलोनियों में अगस्त 2025 तक और सभी व्यापारिक, औद्योगिक एवं उच्च भार वाले उपभोक्ताओं के लिए नवंबर 2025 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटरों की स्थापना पूरी की जानी चाहिए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, बकाया भुगतान की समस्या कम होगी और उपभोक्ता व्यवहार में सुधार आएगा। उन्होंने राज्यों से वितरण हानियों को कम करने पर ध्यान देने का आग्रह किया, क्योंकि इससे बिजली की लागत बढ़ती है और अंततः उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ पड़ता है। इसके साथ ही, उन्होंने विद्युत विनियामक आयोगों के साथ समन्वय बनाकर लागत आधारित शुल्क निर्धारण और समय पर संशोधन करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। सम्मेलन में विद्युत सचिव ने भी कहा कि वर्ष 2035 तक की अनुमानित मांग को देखते हुए राज्यों को अपनी स्रोत योजनाएँ तैयार कर आवश्यक उत्पादन क्षमताएँ विकसित करनी होंगी। इसके साथ ही, पारेषण प्रणाली की मजबूती, साइबर सुरक्षा उपाय, स्मार्ट ग्रिड और भंडारण परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अंत में, श्री मनोहर लाल ने सभी राज्यों से अपील की कि वे 'हर समय, सभी के लिए बिजली' के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें।