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केरल में बैंक लूट: चौंकाने वाली योजना और पुलिस की जांच

केरल के चेलेमब्रा में एक बैंक लूट की घटना ने सभी को चौंका दिया। अपराधियों ने महीनों की योजना बनाकर सुरंग खोदकर करोड़ों की संपत्ति चुराई। जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो उन्हें एकमात्र सुराग 'जय माओ' मिला, जिसने मामले को और जटिल बना दिया। तकनीक की मदद से संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया और लूटी गई संपत्ति भी बरामद की गई। इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
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बैंक लूट की चौंकाने वाली घटना

भारत में हुई एक बड़ी आपराधिक घटना ने न केवल पुलिस को चुनौती दी है, बल्कि आम जनता में सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ा दी है। यह मामला है चेलेमब्रा बैंक लूट का, जो एक साधारण चोरी नहीं थी, बल्कि महीनों की योजना और चतुराई से की गई एक गंभीर घटना थी।


30 दिसंबर 2007 को, जब लोग नए साल की तैयारियों में व्यस्त थे, केरल के मलप्पुरम जिले के चेलेमब्रा में कुछ अपराधियों ने एक बैंक के नीचे से सुरंग खोदकर करोड़ों की संपत्ति चुरा ली। जिस इमारत में केरल ग्रामीण बैंक स्थित था, वहां एक युगल ने रेस्टोरेंट खोलने के बहाने दुकान किराए पर ली। यह सब सामान्य लग रहा था, लेकिन असल में यह देश की सबसे बड़ी बैंक लूट की योजना थी।


जब सुरंग खोदी जा रही थी, तब रेस्टोरेंट के निर्माण का बहाना बनाया गया। महीनों तक बिना किसी को संदेह में डाले सुरंग खोदी गई। एक दिन जब बैंक बंद था, अपराधियों ने चुपचाप स्ट्रॉन्ग रूम में घुसकर लगभग 80 किलो सोना और ₹25 लाख नकद चुरा लिया। जब बैंक फिर से खुला, तो स्ट्रॉन्ग रूम खाली था और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई।


पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन एकमात्र सुराग दीवार पर लिखा 'जय माओ' मिला, जिससे संदेह माओवादियों की ओर गया। कई दिनों तक पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। लेकिन जब घटना की रात के मोबाइल टावर डेटा की जांच की गई, तब मामला आगे बढ़ा।


तकनीक की मदद से पुलिस ने संदिग्ध नंबरों को ट्रेस किया और लगभग डेढ़ महीने बाद, कोझिकोड में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह जानकर हैरानी हुई कि रेस्टोरेंट खोलने के लिए दिए गए सभी पहचान पत्र फर्जी थे। पुलिस ने न केवल आरोपियों को पकड़ा, बल्कि लूटी गई अधिकांश संपत्ति भी बरामद कर ली।