कैथल में बाढ़ और बौना वायरस से किसानों को भारी नुकसान

कैथल में फसल क्षति का मुआवजा
कैथल जिले में बाढ़ और बौना वायरस ने किसानों की स्थिति को गंभीर बना दिया है। यहां के 258 गांवों के 5535 किसानों ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 44,397 एकड़ फसल के नुकसान का पंजीकरण कराया है। इनमें से लगभग 40,000 एकड़ में धान की फसल शामिल है, जबकि शेष में सब्जियां और पशुचारा शामिल हैं। राहत की बात यह है कि किसान 15 सितंबर तक पोर्टल पर अपने नुकसान का पंजीकरण करवा सकते हैं। गुहला क्षेत्र में सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जबकि राजौंद में नुकसान कम है.
गुहला में बाढ़ का प्रभाव
गुहला-चीका में घग्गर नदी का पानी 39 गांवों के खेतों में भर गया था। लगभग 10 दिनों तक खेतों में पानी जमा रहा, जिससे धान की फसल सड़ गई। डंडौता, रत्ताखेड़ा, लुकमान, मँगड़ा, मंझेड़ी, भूसला, भागल और सिहाली जैसे गांवों में सबसे अधिक नुकसान हुआ। कुछ खेतों में पानी चार से पांच फीट तक चढ़ गया, जिससे धान के साथ-साथ सब्जियां और ज्वार भी बर्बाद हो गए। कई किसानों का सूखा चारा भी खराब हो गया, और डंडौता व भागल में सबमर्सिबल पंप भी बेकार हो गए।
बौना वायरस और कीटों का संकट
पानी उतरने के बाद भी किसानों की समस्याएं खत्म नहीं हुईं। धान की फसल में काला तेला, पीला तेला और सफेद तेला जैसी बीमारियों ने हमला किया। बौना वायरस ने जिले में लगभग 45,000 एकड़ धान की फसल को प्रभावित किया। मानस, बुढ़ाखेड़ा, पाई और हाबड़ी सहित 30 गांवों में बौना वायरस का असर सबसे अधिक देखा गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कई किसानों ने अपनी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया।
नुकसान का विवरण
पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार, गुहला में 87 गांवों के 2969 किसानों ने 23,577 एकड़ फसल के नुकसान का पंजीकरण कराया। कैथल में 61 गांवों के 777 किसानों ने 6117 एकड़, फतेहपुर पूंडरी में 25 गांवों के 483 किसानों ने 3573 एकड़, ढांड में 19 गांवों के 144 किसानों ने 1089 एकड़, कलायत में 28 गांवों के 453 किसानों ने 3398 एकड़ और राजौंद में 16 गांवों के 152 किसानों ने 1383 एकड़ नुकसान दर्ज किया। सीवन में 22 गांवों के 647 किसानों ने 5258 एकड़ का नुकसान दर्ज कराया।
कृषि विभाग की सलाह
कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. कर्मचंद ने बताया कि किसान 15 सितंबर तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने नुकसान की जानकारी दर्ज करवा सकते हैं। इसके बाद पोर्टल पर आए आवेदनों की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि बौना वायरस और अन्य बीमारियों से प्रभावित किसान भी अपनी फसलों का विवरण पोर्टल पर डालें।