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कोलकाता में लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ बलात्कार की घटना से हड़कंप

कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ बलात्कार की घटना ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि तीन छात्रों ने उसे बंधक बनाकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया और वीडियो रिकॉर्ड कर उसे ऑनलाइन साझा करने की धमकी दी। इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें विपक्षी दलों ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। जानें इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और जन आक्रोश के बारे में।
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कोलकाता में लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ बलात्कार की घटना से हड़कंप

कोलकाता बलात्कार मामला

कोलकाता बलात्कार मामला: कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में हुई एक भयावह घटना ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। 25 जून को दक्षिण कोलकाता में एक कानून की छात्रा के साथ कथित बलात्कार की घटना सामने आई है। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि तीनों आरोपियों ने न केवल उसके साथ मारपीट की, बल्कि इस जघन्य अपराध का वीडियो भी बनाया और उसे ऑनलाइन साझा करने की धमकी दी। 


घटना का विवरण

पुलिस के अनुसार, यह घटना कॉलेज परिसर के भूतल पर स्थित एक गार्ड रूम में हुई। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि वह शाम करीब 4 बजे कॉलेज किसी काम से पहुंची थी। कॉलेज के कर्मचारी मोनोजीत मिश्रा (31) ने उसे रुकने के लिए कहा। इसके बाद, मिश्रा और दो अन्य छात्र, जैब अहमद (19) और प्रमित मुखर्जी (20), ने कथित तौर पर उसे गार्ड रूम में बंधक बनाकर शाम 7:30 से 10:50 बजे के बीच उसके साथ मारपीट और बलात्कार किया। पुलिस ने कहा, "उसने आरोप लगाया है कि तीनों आरोपियों ने हमले का वीडियो अपने पास रखा था और धमकी दी थी कि अगर उसने घटना के बारे में किसी से बात की तो वे इसे इंटरनेट पर डाल देंगे।" पुलिस ने तीनों आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं और उन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.


कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी

कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी: घटना की जानकारी मिलने के बाद पीड़िता ने अपने माता-पिता को सूचित किया, जिन्होंने तुरंत कस्बा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। 26 जून को दर्ज की गई लिखित शिकायत के आधार पर, कोलकाता पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें शुक्रवार को अलीपुर की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।


राजनीतिक विवाद और विरोध प्रदर्शन

राजनीतिक विवाद और विरोध प्रदर्शन: इस घटना ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे राज्य में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति से जोड़ा और आरोपी मोनोजीत मिश्रा के सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से कथित संबंधों पर सवाल उठाए। मिश्रा के सोशल मीडिया प्रोफाइल में उन्हें कॉलेज की टीएमसी युवा शाखा का पूर्व अध्यक्ष बताया गया है। वहीं, टीएमसी ने मिश्रा से दूरी बनाते हुए इस घटना की कड़ी निंदा की। पार्टी के प्रवक्ता जय प्रकाश मजूमदार ने कहा, "दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पुलिस जांच कर रही है। लेकिन दुर्भाग्य से विपक्ष के नेता एक सामाजिक बुराई को लेकर हमला कर रहे हैं। हम सभी को मिलकर इस सामाजिक बुराई से लड़ना चाहिए।" मिश्रा के वकील आज़म खान ने दावा किया, "मेरे मुवक्किल के खिलाफ ये बेबुनियाद आरोप हैं। राजनीतिक झगड़े के कारण उन्हें फंसाया जा रहा है।"


जन आक्रोश और पुलिस कार्रवाई

जन आक्रोश और पुलिस कार्रवाई: इस घटना के खिलाफ कस्बा पुलिस स्टेशन के बाहर वामपंथी संगठनों एसएफआई और डीवाईएफआई के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर लालबाजार पुलिस मुख्यालय ले जाया गया।