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कोलकाता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मोहम्मद शमी को हसीन जहां और बेटी को हर महीने देना होगा आर्थिक सहायता

कोलकाता हाईकोर्ट ने मोहम्मद शमी को अपनी पत्नी हसीन जहां और उनकी बेटी को हर महीने आर्थिक सहायता देने का आदेश दिया है। यह निर्णय लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद के बीच आया है, जिसमें हसीन ने शमी पर गंभीर आरोप लगाए थे। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट के आदेश के पीछे की वजहें।
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कोलकाता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मोहम्मद शमी को हसीन जहां और बेटी को हर महीने देना होगा आर्थिक सहायता

हसीन जहां और मोहम्मद शमी के बीच कानूनी विवाद

हसीन जहां और मोहम्मद शमी के बीच चल रहा कानूनी विवाद काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। 2018 में, हसीन ने शमी पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और मैच फिक्सिंग के गंभीर आरोप लगाए थे। इस विवाद के चलते दोनों के रिश्ते में खटास आ गई है। हाल ही में, कोलकाता हाईकोर्ट ने हसीन और उनकी बेटी को आर्थिक सहायता प्रदान करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।


कोर्ट का आदेश

कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी की बेंच ने 1 जुलाई को आदेश दिया कि मोहम्मद शमी को अपनी पत्नी हसीन जहां को ₹1.5 लाख और उनकी बेटी को ₹2.5 लाख हर महीने देने होंगे। कोर्ट ने यह राशि दोनों के लिए आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 'उचित और न्यायसंगत' बताई। इसके साथ ही, शमी को यह भी कहा गया कि वह अपनी बेटी की शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं के लिए अतिरिक्त राशि देने पर विचार कर सकते हैं।


जिला अदालत के आदेश पर हाईकोर्ट की सुनवाई

इससे पहले, 2023 में जिला सत्र न्यायालय ने शमी को हसीन जहां को ₹50,000 और उनकी बेटी को ₹80,000 मासिक भुगतान करने का आदेश दिया था। लेकिन हसीन ने इसे अपर्याप्त मानते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने याचिका में खुद के लिए ₹7 लाख और बेटी के लिए ₹3 लाख प्रति माह की मांग की थी। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया।


विवाद का इतिहास

हसीन जहां, जो पहले एक मॉडल और कोलकाता नाइट राइडर्स की चीयरलीडर रह चुकी हैं, ने 2014 में मोहम्मद शमी से शादी की थी। उनके एक बेटी भी है, जिसका जन्म 2015 में हुआ। 2018 में, हसीन ने शमी पर घरेलू हिंसा, दहेज मांगने और एक पाकिस्तानी महिला से पैसे लेने के आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि शमी ने घर के खर्चे का भुगतान करना बंद कर दिया था। इन आरोपों के बाद, बीसीसीआई ने शमी का केंद्रीय अनुबंध रोक दिया था, लेकिन बाद में उन्हें मैच फिक्सिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया गया।