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क्या इजराइल-ईरान तनाव का असर जम्मू-कश्मीर में बढ़ता जा रहा है?

मध्य-पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब जम्मू-कश्मीर में भी महसूस किया जा रहा है। प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी है। जुमे की नमाज के दौरान संभावित जनभावनाओं को देखते हुए सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इजराइल द्वारा ईरान पर सैन्य हमले के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है। जानें इस तनाव के पीछे की वजहें और प्रशासन के उठाए गए कदमों के बारे में।
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क्या इजराइल-ईरान तनाव का असर जम्मू-कश्मीर में बढ़ता जा रहा है?

भारत में इजराइल-ईरान तनाव का प्रभाव

राष्ट्रीय समाचार: मध्य-पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव की लहरें अब भारत तक पहुंचने लगी हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष सतर्कता लागू कर दी है। विशेष रूप से उन इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है जहां शिया समुदाय की संख्या अधिक है। अधिकारियों को चिंता है कि इस अंतरराष्ट्रीय तनाव का प्रभाव जुमे की नमाज के दौरान स्थानीय स्तर पर देखा जा सकता है। शुक्रवार को जनभावनाएं भड़क सकती हैं, जिससे कानून-व्यवस्था में बाधा आ सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ड्रोन और सीसीटीवी के माध्यम से भी निगरानी की जा रही है।


सायरनों और बंद एयरस्पेस का डर

सायरनों और बंद एयरस्पेस ने डर बढ़ाया

शुक्रवार की सुबह एक गंभीर मोड़ आया जब इजराइल ने ईरान पर सैन्य हमला किया। इस हमले के बाद ईरान के कई शहरों में सायरन बजने लगे और सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया। इजराइल ने अपने देश में आपातकाल घोषित करते हुए एयरस्पेस को बंद कर दिया। इस घटनाक्रम ने दुनिया भर की सरकारों को सजग कर दिया है, और भारत ने भी तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए आवश्यक कदम उठाए हैं।


घाटी में तनाव और गश्त बढ़ी

घाटी में बढ़ा हुआ तनाव और गश्त तेज़

जम्मू-कश्मीर में यह निर्णय केवल अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के कारण नहीं लिया गया है। यहां पहले से ही माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था। शिया समुदाय की भावनाएं युद्ध की मौजूदा स्थिति से बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। इसी कारण सुरक्षा बलों को और चौकस किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की भीड़, प्रदर्शन या अशांति को प्रारंभिक स्तर पर ही रोका जा सके।


पहलगाम हमले का साया

पहलगाम हमले के साये में खड़ी है घाटी

संकट की जड़ें कुछ दिन पुरानी हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी—जिनमें कई विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया और आतंक के कई ठिकाने नष्ट कर दिए। लेकिन घाटी में फैला भय और सतर्कता अब तक बनी हुई है। हालात वैसे ही नाजुक थे और अब इजराइल-ईरान युद्ध ने इन तनावों को और गहरा कर दिया है।


अंतरराष्ट्रीय हवाई रूटों पर प्रभाव

अंतरराष्ट्रीय हवाई रूटों पर भी असर

ईरान द्वारा एयरस्पेस बंद करने के बाद भारत सरकार ने कई उड़ानों को या तो टाल दिया या मोड़ दिया। दिल्ली एयरपोर्ट की ओर से एक सार्वजनिक सूचना जारी की गई, जिसमें यात्रियों से अपील की गई कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल अधिकृत एयरलाइन से ही अपनी उड़ान की जानकारी प्राप्त करें। सरकार का कहना है कि दिल्ली से उड़ने वाली अधिकांश उड़ानों पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है, लेकिन अतिरिक्त सतर्कता आवश्यक है।


शुक्रवार का महत्व

क्यों खास है शुक्रवार का दिन

जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार का दिन हमेशा संवेदनशील माना जाता है। जुमे की नमाज के दौरान बड़ी संख्या में लोग मस्जिदों में एकत्र होते हैं। ऐसे में किसी भी वैश्विक घटना का सीधा असर स्थानीय भावनाओं पर पड़ सकता है। प्रशासन नहीं चाहता कि इस संवेदनशील माहौल में कोई चिंगारी आग का रूप ले ले।