क्या उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा बिहार चुनाव की रणनीति का हिस्सा है?

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीतिक जगत में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। 74 वर्षीय धनखड़, जिन्होंने हाल ही में जेएनयू में एक कार्यक्रम में अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त होने की बात कही थी, ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। हालांकि, उनकी सेहत को लेकर कई लोगों ने इस कारण पर संदेह जताया है। इस बीच, विपक्षी नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों ने उनके इस्तीफे को लेकर कई सवाल उठाए हैं।
धनखड़ का इस्तीफा और बिहार चुनाव की संभावनाएं
धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक हलकों में कई अनुत्तरित प्रश्न छोड़ दिए हैं, खासकर जब भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ को 'किसान पुत्र' और 'प्रेरक' कहा था, फिर भी इस घटनाक्रम ने स्थिति को और रहस्यमय बना दिया है। एक अटकल यह भी है कि उनके इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को अगला उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है, जिससे भाजपा को बिहार विधानसभा चुनावों में लाभ हो सकता है।
इस्तीफे के पीछे के कारण और मानसून सत्र की घटनाएं
एक अन्य सिद्धांत यह है कि धनखड़ का इस्तीफा मानसून सत्र के पहले दिन की घटनाओं से जुड़ा हो सकता है। उन्होंने सोमवार को बताया कि उन्हें 68 विपक्षी सांसदों द्वारा एक नोटिस प्राप्त हुआ था, जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की मांग की गई थी। इस पर उपराष्ट्रपति ने कार्रवाई की, लेकिन इससे एनडीए के बीच आक्रोश फैल गया। कांग्रेस ने इसे उपराष्ट्रपति का अपमान बताया और आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर स्थिति को उलझा दिया।
धनखड़ की न्यायपालिका पर टिप्पणियां
धनखड़ की न्यायपालिका पर की गई टिप्पणियों और उनके 'माई वे या हाईवे' दृष्टिकोण ने सरकार के कुछ हिस्सों में असंतोष पैदा किया था। 2022 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद से, उन्होंने न्यायिक अतिक्रमण के मुद्दे पर कई बार सरकार का समर्थन किया और सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना की। ऐसे में, उनके इस्तीफे का एक कारण यह भी हो सकता है। हालांकि, कई लोग मानते हैं कि उनकी सेहत ही मुख्य कारण हो सकती है, जैसा कि कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा, 'राजनीति में सब कुछ सीधा-सादा नहीं होता।'