क्या प्रशासनिक सेवा में मानसिक स्वास्थ्य संकट का समाधान संभव है? जानिए वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद की स्थिति

आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या: एक गंभीर संकेत
आईएएस-आईपीएस आत्महत्या समाचार: हरियाणा कैडर के 2001 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने देश के पुलिस और प्रशासनिक तंत्र में मानसिक स्वास्थ्य के संकट को उजागर किया है। उन्होंने चंडीगढ़ में अपने सरकारी आवास पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या की। यह घटना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की खामियों का प्रतीक है, जिसमें अधिकारियों को निरंतर तनाव और अपेक्षाओं के बोझ तले जीना पड़ता है।
आत्महत्या के संभावित कारण
आत्महत्या के पीछे की संभावित वजहें
हालांकि घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, पूरन कुमार लंबे समय से मानसिक अवसाद से जूझ रहे थे। कुछ सूत्रों का कहना है कि वे पेशेवर उपेक्षा, पदोन्नति में देरी और काम के अत्यधिक दबाव से परेशान थे। एक वरिष्ठ अधिकारी होते हुए भी अगर वे मानसिक रूप से इतना अकेला और कमजोर महसूस कर रहे थे कि आत्महत्या को ही रास्ता समझा, तो यह सिस्टम की गंभीर विफलता है।
अन्य अधिकारियों की आत्महत्याएं
कई IAS और IPS अधिकारियों ने की आत्महत्या
पिछले कुछ वर्षों में कई IAS और IPS अधिकारियों ने इसी तरह आत्महत्या की है। यूपी के आईपीएस सुरेंद्र कुमार दास, एटीएस चीफ हिमांशु राय, आईएएस मुकेश पांडेय और संजीव दुबे जैसे नाम इस त्रासदी की फेहरिस्त में शामिल हैं। इन मामलों में ज्यादातर कारण व्यक्तिगत अवसाद, पारिवारिक कलह, बीमारियां या पेशेवर दबाव रहे हैं। लेकिन हर बार प्रशासनिक सेवा में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर केवल मौखिक सहानुभूति ही देखने को मिली है, कोई स्थायी समाधान नहीं।
प्रशासनिक सेवा में मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी
प्रशासनिक सेवा में मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी
भारत में प्रशासनिक सेवा को अत्यधिक प्रतिष्ठा का पद माना जाता है, लेकिन इसके साथ जो मानसिक बोझ जुड़ा होता है, उस पर कोई बात नहीं करता। अधिकारियों से 24x7 उपलब्ध रहने की अपेक्षा की जाती है। किसी भी त्रुटि पर आलोचना या निलंबन का डर, राजनीतिक हस्तक्षेप और जनता के अनियंत्रित दबाव के बीच अधिकारियों का मानसिक संतुलन बिगड़ना स्वाभाविक है।
क्या सुधार की आवश्यकता है?
क्या चाहिए एक ठोस सुधार
सरकार को अब मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखते हुए प्रशासनिक सेवा में कार्यरत अधिकारियों के लिए विशेष मनोवैज्ञानिक परामर्श तंत्र, गोपनीय हेल्पलाइन, तनाव प्रबंधन वर्कशॉप और नियमित मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन जैसी पहल शुरू करनी चाहिए। इसके अलावा, वरिष्ठ अधिकारियों को "मानव" समझना ज़रूरी है, न कि सिर्फ आदेश पालन करने वाली मशीन।