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क्या भारत पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा? ट्रंप-पुतिन वार्ता पर निर्भरता

अमेरिका ने चेतावनी दी है कि यदि ट्रंप और पुतिन की वार्ता असफल होती है, तो भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं। इस स्थिति में भारत की ऊर्जा जरूरतों और अमेरिका के आरोपों के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए अपनी ऊर्जा निर्भरता को प्राथमिकता दी है। जानें इस मुद्दे पर अमेरिका की चिंताएं और भारत का रुख क्या है।
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क्या भारत पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा? ट्रंप-पुतिन वार्ता पर निर्भरता

भारत और अमेरिका के व्यापार पर बढ़ता दबाव

India US trade: अमेरिका ने चेतावनी दी है कि यदि 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शांति वार्ता सफल नहीं होती है, तो भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं। यह वार्ता यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने की एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। इससे पहले, अमेरिका ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 27 अगस्त से लागू होगा। इस स्थिति में और भी वृद्धि की संभावना है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव और बढ़ सकता है।


अमेरिकी वित्त मंत्री की चेतावनी

अमेरिकी वित्त मंत्री की धमकी

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत पर पहले से ही रूसी तेल खरीदने के लिए सेकेंडरी टैरिफ लगाए गए हैं, लेकिन यदि ट्रंप-पुतिन वार्ता विफल होती है, तो इन टैरिफ को और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय अलास्का में होने वाली बैठक के परिणाम पर निर्भर करेगा। यदि वार्ता सफल नहीं हुई, तो भारत समेत उन देशों पर टैरिफ और पाबंदियां बढ़ सकती हैं, जो रूस से व्यापार कर रहे हैं।


भारत पर आरोप और आर्थिक प्रभाव

 भारत पर फंडिंग का आरोप

ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने के गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि भारत इस तरह से यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहा है। इसी कारण अमेरिका ने भारत पर पहले से लागू 25% टैरिफ के अलावा 25% की अतिरिक्त पेनल्टी भी लागू कर दी है। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि रूस ने शांति समझौते को अस्वीकार किया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। अमेरिका का यह रुख भारत को आर्थिक मोर्चे पर नुकसान पहुँचा सकता है।


भारत का रुख और ऊर्जा की आवश्यकता

'देशहित सर्वोपरि'

भारत सरकार ने अमेरिका के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि वह एक ऊर्जा-निर्भर राष्ट्र है और उसे सस्ता कच्चा तेल खरीदना ज़रूरी है, ताकि देश की आर्थिक स्थिरता बनी रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि हमारे लिए देशवासियों की भलाई प्राथमिकता है, और हम उन्हें महंगाई से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। भारत का कहना है कि रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदना उसकी जरूरत है, खासकर तब जब वैश्विक बाजार में ऊर्जा की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।


अमेरिका की चिंताएं

अमेरिका की चिंता का कारण

2024 में भारत द्वारा आयातित कुल कच्चे तेल में रूसी तेल का हिस्सा 35-40% रहा, जो 2021 में केवल 3% था। यह वृद्धि अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई है। वाशिंगटन का मानना है कि यह रूस की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर युद्ध को लंबा खींचने में मदद कर रहा है।