क्या भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है? निर्मला सीतारमण का महत्वपूर्ण बयान

निर्मला सीतारमण का बयान
Nirmala Sitharaman on US Tariff: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत अब वैश्विक परिदृश्य में केवल एक दर्शक नहीं रह सकता। उन्होंने बताया कि भू-राजनीतिक तनाव, प्रतिबंध और टैरिफ जैसी समस्याएं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर रही हैं, इसलिए भारत को अपनी भूमिका को और मजबूत करना होगा।
वैश्विक अनिश्चितता और भारत की स्थिति
सीतारमण ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025 के उद्घाटन में कहा कि वर्तमान समय में अनिश्चितता बढ़ रही है, जो सभी देशों के हितों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा, "भारत के लिए, ये गतिशीलताएं भेद्यता और लचीलेपन, दोनों को उजागर करती हैं। हमारी आर्थिक क्षमता मजबूत है, जिससे हम इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।"
नेतृत्व या केवल सहनशीलता?
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के वर्तमान निर्णय ही उसके भविष्य की दिशा तय करेंगे। "हमारे चुनाव यह निर्धारित करेंगे कि लचीलापन नेतृत्व के लिए आधार बनेगा या केवल अनिश्चितता के खिलाफ सुरक्षा कवच बनेगा," उन्होंने स्पष्ट किया।
संकट से अवसर की ओर
वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा विखंडित वैश्विक व्यवस्था नए सहयोग के अवसर भी ला सकती है। उन्होंने इतिहास का उदाहरण देते हुए कहा, "इतिहास हमें सिखाता है कि संकट अक्सर नवीनीकरण से पहले आते हैं। वर्तमान विखंडन सहयोग के नए और स्थायी रूपों को जन्म दे सकता है।"
निष्पक्षता और समावेशन जरूरी
सीतारमण ने कहा कि नए वैश्विक सहयोग ढांचे में निष्पक्षता और समावेशन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। "यह सुनिश्चित करना चुनौती है कि समावेशी सिद्धांत सहयोग को आकार दें। विकासशील देशों के लिए, यह एक आवश्यकता है, न कि केवल एक आकांक्षा," उन्होंने कहा।
उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका
वित्त मंत्री ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अपील की कि वे वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं। "हमें सक्रिय भागीदार बनना होगा और जहां संभव हो, परिणामों को आकार देना होगा," उन्होंने कहा।