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क्रिकेट जगत में शोक: डिकी बर्ड का निधन, खेल की दुनिया ने खोया एक महान अंपायर

क्रिकेट की दुनिया ने एक महान अंपायर डिकी बर्ड को खो दिया है, जिनका निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ। इंग्लैंड की काउंटी यॉर्कशर और ECB ने उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया है। डिकी बर्ड ने अपने करियर में 66 टेस्ट और 76 वनडे मैचों में अंपायरिंग की, और तीन वर्ल्ड कप फाइनल में भी अपनी भूमिका निभाई। उनका अंपायरिंग करियर 1973 से 1996 तक चला। जानें उनके जीवन और करियर के बारे में और कैसे उन्होंने क्रिकेट को प्रभावित किया।
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क्रिकेट जगत में शोक: डिकी बर्ड का निधन, खेल की दुनिया ने खोया एक महान अंपायर

डिकी बर्ड का निधन: क्रिकेट की दुनिया में शोक की लहर

Dickie Bird Death News : एशिया कप 2025 में भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले महत्वपूर्ण मैच से पहले क्रिकेट जगत को एक दुखद समाचार मिला है। मंगलवार को इंग्लैंड के प्रसिद्ध अंपायर डिकी बर्ड का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस खबर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समुदाय और उनके प्रशंसकों को गहरे शोक में डाल दिया है।


यॉर्कशर और ECB ने व्यक्त की संवेदना
डिकी बर्ड के निधन पर इंग्लैंड की प्रतिष्ठित काउंटी टीम यॉर्कशर ने गहरी संवेदना व्यक्त की है, उन्हें एक “राष्ट्रीय धरोहर” करार दिया गया है। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि डिकी बर्ड न केवल एक उत्कृष्ट अंपायर थे, बल्कि उन्होंने खेल भावना और इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।


तीन वर्ल्ड कप फाइनल में अंपायरिंग का गौरव
डिकी बर्ड का अंपायरिंग करियर अत्यंत शानदार रहा। उन्होंने 66 टेस्ट मैचों और 76 वनडे इंटरनेशनल मैचों में अंपायरिंग की। सबसे उल्लेखनीय यह है कि उन्होंने तीन क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल में अंपायर की भूमिका निभाई, जो किसी भी अंपायर के लिए गर्व की बात है। उनका अंपायरिंग करियर 1973 से शुरू होकर 1996 तक चला।


क्रिकेट के मैदान से दिलों तक का सफर
डिकी बर्ड का जन्म इंग्लैंड के बार्नसले में हुआ था। वे इंग्लैंड के महान बल्लेबाज़ ज्यॉफ्री बॉयकॉट और चर्चित पत्रकार सर माइकल पार्किंसन के साथ क्लब क्रिकेट भी खेल चुके थे। हालांकि, उन्हें क्रिकेट इतिहास में सबसे अधिक उनकी अंपायरिंग के लिए याद किया जाएगा। अपने समय में वे सबसे ज्यादा टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करने वाले अंपायर भी रहे। 1996 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया और 1998 में यॉर्कशर और वार्विकशर के बीच खेले गए काउंटी मैच में आखिरी बार अंपायरिंग की।