गाजा में शांति की उम्मीद, लेकिन चीन-ताइवान तनाव बढ़ता जा रहा है

गाजा में शांति की संभावनाएं
गाजा शांति योजना: पिछले दो वर्षों में कई देशों ने गंभीर संकट का सामना किया है। इस बीच, गाजा पट्टी से सकारात्मक समाचार आ रहा है, जिससे शांति की बहाली की उम्मीद जगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत 20 सूत्री शांति योजना पर अब हमास ने भी अपनी सहमति दी है। इससे पहले, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस योजना को स्वीकृति दी थी। ऐसे में, लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच गाजा में हमलों के रुकने और बंधकों की रिहाई की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
चीन-ताइवान तनाव में वृद्धि
हालांकि, जैसे-जैसे गाजा में शांति की दिशा में कदम बढ़ते दिख रहे हैं, एक नए मोर्चे के खुलने की संभावना ने वैश्विक चिंता को बढ़ा दिया है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव फिर से उभर रहा है। भारत के पड़ोसी देश चीन ने ताइवान के साथ बढ़ते तनाव के बीच यांग्त्ज़ी नदी के मुहाने पर बड़ी संख्या में युद्धपोत और पनडुब्बियाँ तैनात कर दी हैं।
सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा
सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा:
न्यूज वीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 6 अक्टूबर 2025 को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में चीन के शंघाई के पास यांग्त्जी नदी के मुहाने पर कई उभयचर जहाज खड़े नजर आए हैं। रक्षा विशेषज्ञों ने इसे एक “दुर्लभ और असामान्य सैन्य गतिविधि” बताया है। ओपन-सोर्स रक्षा विश्लेषक एमटी एंडरसन ने इन तस्वीरों में टाइप 071 युझाओ-क्लास लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) की पहचान की है। यह 25,000 टन क्षमता वाला विशाल युद्धपोत है, जो किसी उभयचर हमले के दौरान बख्तरबंद वाहनों, सैनिकों और लैंडिंग क्राफ्ट को समुद्र पार कर ताइवान के तट तक पहुंचाने में सक्षम है.
ताइवान पर हमले की आशंका
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तैनाती चीन की सैन्य तैयारी का हिस्सा हो सकती है, जो ताइवान पर हमले की दिशा में संकेत देती है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के पास वर्तमान में 370 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी है। इनमें हेलीकॉप्टर वाहक, लैंडिंग डॉक जहाज और विशेष लैंडिंग बार्ज शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल ताइवान जलडमरूमध्य पार कर हमले के लिए किया जा सकता है.
चीन-ताइवान विवाद का पुराना इतिहास
चीन-ताइवान विवाद का पुराना इतिहास:
चीन ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और कई बार इसे “मुख्य भूमि में विलय” करने की बात कह चुका है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में देखता है। हाल के महीनों में चीन ने बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास, ड्रोन गश्त और वायुसेना की उड़ानों के जरिए ताइवान पर दबाव बढ़ाया है.
वैश्विक स्थिरता पर प्रभाव
ताइवान और अमेरिका दोनों ही इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बता चुके हैं। गाजा में जहां शांति की पहल ने दुनिया को राहत की सांस दी है, वहीं चीन-ताइवान तनाव ने एशिया में अस्थिरता का नया खतरा पैदा कर दिया है। यदि यह स्थिति और भड़कती है तो इसका असर न केवल भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर भी पड़ सकता है.