गाजा युद्ध की कहानी: 'द वॉयस ऑफ हिंद रजब' को मिला सिल्वर लायन पुरस्कार

फिल्म का परिचय
गाजा युद्ध की त्रासदी को दर्शाने वाली डॉक्यूमेंट्री: फ्रांसीसी-ट्यूनीशियाई निर्देशक कौथर बेन हानिया की फिल्म 'द वॉयस ऑफ हिंद रजब' को वेनिस फिल्म फेस्टिवल में सिल्वर लायन पुरस्कार से नवाजा गया है। यह डॉक्यूमेंट्री इजराइली गोलीबारी में मारी गई पांच साल की फिलिस्तीनी बच्ची हिंद रजब की वास्तविक और दर्दनाक कहानी पर आधारित है।
फिल्म की कहानी
इस फिल्म में असली ऑडियो रिकॉर्डिंग का उपयोग किया गया है, जिसमें रजब गाजा शहर से भागने की कोशिश के दौरान गोलीबारी में फंस जाती है। वह कई घंटों तक फिलिस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसाइटी को कॉल करती रही, जबकि उसकी कार में उसके परिवार के शव पड़े थे। अंततः रजब और उसे बचाने आए दो एम्बुलेंस कर्मियों की भी जान चली गई।
डायरेक्टर की भावुक अपील
पुरस्कार लेते समय बेन हानिया ने कहा, 'सिनेमा हिंद को वापस नहीं ला सकता, न ही उसके साथ हुए अत्याचार को मिटा सकता है। लेकिन सिनेमा उसकी आवाज को सुरक्षित रख सकता है और सीमाओं के पार गूंजने में मदद कर सकता है। जब तक न्याय नहीं मिलता, उसकी आवाज गूंजती रहेगी।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कहानी केवल एक बच्ची की नहीं, बल्कि 'एक पूरे समुदाय की है जो नरसंहार का सामना कर रहा है।'
फेस्टिवल में गाजा का मुद्दा
गाजा पर इजराइल के हमलों में अब तक 64,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 18,000 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। इस त्रासदी ने वेनिस फेस्टिवल पर गहरा प्रभाव डाला। गोल्डन लायन विजेता निर्देशक जिम जार्मुश ने समारोह में 'बस करो' लिखा बैज पहनकर गाजा पर हो रहे हमलों का विरोध किया।
इसके अलावा, कई अन्य विजेताओं ने भी मंच से गाजा के मुद्दे को उठाया। इटली के अभिनेता टोनी सर्विलो ने फ़िलिस्तीन जाने की कोशिश कर रहे कार्यकर्ताओं की सराहना की, जबकि भारतीय मूल की निर्देशक अन्नपूर्णा रॉय ने कहा, 'हर बच्चा शांति और आजादी का हकदार है, फिलिस्तीन भी इसका अपवाद नहीं है।'