गाजा संकट पर अरब देशों की चिंता: ट्रंप से मिलेंगे मुस्लिम नेता

मध्य पूर्व संकट
Middle East crisis: गाजा में इजरायल के बढ़ते हमलों और वहां हो रहे व्यापक विनाश ने कई मुस्लिम देशों को चिंता में डाल दिया है. इसको देखते हुए सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान के नेता तथा वरिष्ठ अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक से अलग मिलने की योजना बना रहे हैं. इन नेताओं का उद्देश्य गाजा संकट, युद्धबंदी और शांति स्थापित करने के तरीकों पर अमेरिका की भूमिका को समझना है.
ट्रंप की बैठक
रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप मंगलवार को मुस्लिम और अरब नेताओं के समूह को गाजा में शांति और युद्ध के बाद प्रशासन के लिए अमेरिकी दृष्टिकोण से अवगत कराएंगे. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप अपने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण में इस मुद्दे को शामिल करेंगे या नहीं, क्योंकि यह भाषण बैठक से कुछ घंटे पहले होगा.
ट्रंप का तीन-स्तरीय प्लान
1. गाजा में बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करना.
2. इजरायल की गाजा से वापसी पर बातचीत करना.
3. युद्ध के बाद गाजा में ऐसा प्रशासन स्थापित करना जिसमें हमास की कोई भूमिका न हो.
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रस्ताव हमास और इजरायल के बीच युद्ध समाप्त करने की अब तक की सबसे ठोस अमेरिकी पहल हो सकती है.
अरब देशों की भूमिका
अमेरिका यह भी चाहता है कि अरब और मुस्लिम देश गाजा में शांति स्थापना सेना भेजने पर सहमति दें, ताकि इजरायल की वापसी संभव हो और एन्क्लेव का पुनर्निर्माण सुरक्षित तरीके से किया जा सके. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने सोमवार को कहा कि उनका देश गाजा में शांति सेना भेजने के लिए तैयार है. ट्रंप चाहते हैं कि अरब देश गाजा के पुनर्निर्माण और संक्रमण काल में सक्रिय भूमिका निभाएं.
इजरायल का सैन्य अभियान
इजरायल तीन बख्तरबंद और पैदल सेना डिवीजनों के साथ गाजा शहर पर कब्जा करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है. वहीं, न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फ्रांस और कई यूरोपीय देशों ने द्वि-राज्य समाधान का समर्थन किया है. इसके बावजूद, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ‘ग्रेटर इजरायल’ की अपनी योजना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. गाजा में इजरायली सैन्य अभियान के बावजूद उन्हें अंतरराष्ट्रीय आलोचना और अलगाव का सामना करना पड़ रहा है.
वैश्विक मान्यता और द्वि-राज्य समाधान
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 147 देशों ने फिलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है. हाल ही में पुर्तगाल ने भी फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी, जबकि भारत ने इसे 1988 में मान्यता दी थी. पुर्तगाल ने स्पष्ट किया कि द्वि-राज्य समाधान ही न्यायसंगत और स्थायी शांति का एकमात्र मार्ग है.