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गुरुग्राम में मासूम बच्चे की नाले में गिरने से हुई मौत, प्रशासन पर उठे सवाल

गुरुग्राम के कुशल चौक में एक ढाई साल का बच्चा खेलते समय खुले नाले में गिरकर डूब गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। बच्चे के पिता ने किसी भी प्रकार की साजिश या लापरवाही की शिकायत नहीं की है। अब यह देखना है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।
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गुरुग्राम में मासूम बच्चे की नाले में गिरने से हुई मौत, प्रशासन पर उठे सवाल

गुरुग्राम में दर्दनाक हादसा

गुरुग्राम समाचार: रविवार शाम को गुरुग्राम के सेक्टर-66 में कुशल चौक के निकट एक दुखद घटना घटी, जिसमें केवल ढाई साल का एक बच्चा खुले नाले में गिरकर डूब गया। यह घटना तब हुई जब बच्चा अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था और अचानक नाले में गिर गया। बच्चे की पहचान दिलराज के रूप में हुई है, जो राजस्थान के टोंक जिले का निवासी था।


पिता की व्यस्तता के कारण हुआ हादसा

जब यह हादसा हुआ, तब दिलराज का पिता कालू एकल, जो गुब्बारे बेचने का काम करता है, चौराहे पर अपने काम में व्यस्त था। यह घटना रविवार को लगभग 4:30 बजे हुई।


खेलते समय नाले में गिरा बच्चा

पुलिस जांच में यह सामने आया कि जिस नाले में बच्चा गिरा, उसका ढक्कन आंशिक रूप से खुला हुआ था। पुलिस का मानना है कि बच्चा खेलते-खेलते उस खुले हिस्से तक पहुंच गया और उसमें गिर गया। गुरुग्राम पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी संदीप तुरान ने बताया कि यह नाला गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) के अंतर्गत आता है। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि संभवतः बच्चे ने खेलते समय नाले का ढक्कन खोला था और किसी की निगरानी न होने के कारण दिलराज उस खुले हिस्से में गिर गया।


GMDA की सफाई

GMDA के एक अधिकारी ने कहा कि नाले को चारों ओर से तार से घेरकर ढका गया था। उन्होंने कहा, 'जब तक कोई जानबूझकर तार पार करके ढक्कन नहीं हटाए, ऐसा हादसा नहीं हो सकता। घटना के बाद ढक्कन आंशिक रूप से हटा हुआ मिला।'


लापरवाही की कोई शिकायत नहीं

पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि दिलराज के पिता ने किसी साजिश या लापरवाही की शिकायत नहीं की है। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद दिलराज का शव परिजनों को सौंप दिया गया। इस दुखद घटना ने क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है और एक बार फिर खुले नालों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


क्या प्रशासन जागेगा?

इस घटना ने नगर निगम और विकास प्राधिकरण की लापरवाही को उजागर किया है। सवाल यह उठता है कि यदि नाला पूरी तरह सुरक्षित होता, तो क्या एक मासूम की जान जाती? अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है या यह मामला भी अन्य हादसों की तरह फाइलों में दब जाएगा।