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गुर्जर समाज की आरक्षण मांगें: राजस्थान में फिर से आंदोलन की तैयारी

राजस्थान में गुर्जर समाज एक बार फिर अपनी आरक्षण मांगों को लेकर लामबंद हो रहा है। उन्होंने सरकार से 12 बजे तक निर्णय लेने की अपील की है, अन्यथा महापंचायत में आगे की रणनीति तय की जाएगी। गुर्जर आरक्षण समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने बातचीत के लिए सरकार के पास नहीं जाने का निर्णय लिया है। उनकी प्रमुख मांगों में एमबीसी आरक्षण विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करना और सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण शामिल हैं। जानें गुर्जर समाज की नाराजगी के कारण और अब तक हुए आंदोलनों का इतिहास।
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गुर्जर समाज की आरक्षण मांगें: राजस्थान में फिर से आंदोलन की तैयारी

गुर्जर समाज की लामबंदी

Rajasthan Gurjar Reservation: राजस्थान में गुर्जर समुदाय एक बार फिर संगठित हो रहा है। उन्होंने सरकार से रविवार दोपहर 12 बजे तक अपनी मांगों पर निर्णय लेने की अपील की है। यदि सरकार का कोई उत्तर नहीं आता है, तो महापंचायत में आगे की योजना बनाई जाएगी। गुर्जर आरक्षण समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता विजय बैंसला ने स्पष्ट किया कि वे अब सरकार के पास बातचीत के लिए नहीं जाएंगे। सरकार को किसी आईएएस स्तर के अधिकारी के माध्यम से पत्र भेजना होगा। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। आइए जानते हैं गुर्जर समाज की मुख्य मांगें क्या हैं?


गुर्जरों की मुख्य मांगें

1. एमबीसी आरक्षण विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।


2. आरक्षण के दौरान हुए समझौतों का पालन किया जाए।


3. सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।


4. देवनारायण योजना का सही क्रियान्वयन हो।


5. आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।


6. आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।


गहलोत सरकार के दौरान नवंबर 2020 में किसान आंदोलन हुआ था। गुर्जर समुदाय ने उस समय दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था। तब सरकार ने इन मांगों पर सहमति जताई थी।


1. देवनारायण योजना का सही क्रियान्वयन।


2. 2013 से 2018 तक बैकलॉग की भर्ती।


3. एमबीसी आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखना।


गुर्जर समाज की नाराजगी का कारण

गुर्जर समुदाय की मांग है कि एमबीसी आरक्षण को 5वीं अनुसूची में स्थान दिया जाए, जो केंद्र सरकार का विषय है। गुर्जरों का आरोप है कि वैकेंसी इस तरह से निकाली जा रही हैं कि उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभिन्न भर्तियों में पदों की संख्या इस प्रकार रखी जानी चाहिए कि गुर्जर समुदाय को पर्याप्त आरक्षण मिल सके।


अब तक हुए आंदोलन

1. 2006 में गुर्जर महासभा के अध्यक्ष रामगोपाल ने 21 दिनों तक अनशन किया। कर्नल किरोड़ी बैंसला की अध्यक्षता में गुर्जर आरक्षण समिति का गठन हुआ। सितंबर 2006 में आंदोलन उग्र हो गया और हिंडौन सिटी करौली में रेल की पटरियां उखाड़ दी गईं। मई 2007 में आंदोलन हिंसक हुआ और पुलिस फायरिंग में 38 आंदोलनकारी मारे गए। जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में एक समिति बनी, जिसने गुर्जरों को एसटी आरक्षण के अनुरूप नहीं माना।


2. मई 2008 में फिर से आंदोलन हुआ। पीलूपुरा भरतपुर में रेलवे ट्रैक रोक दिया गया। फायरिंग में 18 आंदोलनकारी मारे गए। इस पर समझौता हुआ और राजे सरकार ने एसबीसी के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण दिया। 2009 में बीजेपी सरकार विदा हो गई। कांग्रेस सरकार के समय गुर्जरों ने फिर से बिल पारित करने की मांग की। सरकार ने बिल पारित किया, लेकिन 15 दिन बाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।


3. 2010 में गुर्जर फिर संगठित हुए। गहलोत सरकार ने पहली बार गुर्जरों को ओबीसी के साथ एमबीसी में 1 प्रतिशत आरक्षण दिया। 2011 में गुर्जरों ने फिर रेलवे ट्रैक रोका। फिर समझौता हुआ। ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सहमति बनी। 2012 में गुर्जर समेत 5 जातियों को एसबीसी आरक्षण देने की सिफारिश हुई। आरक्षण लागू हुआ लेकिन इसी साल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।


4. 2015 में बीजेपी सरकार के दौरान फिर से रेलवे ट्रैक रोका गया। 28 मई 2015 को एसबीसी और ईबीसी आरक्षण के अलग-अलग बिल लाए गए। कोर्ट ने 2016 में इस पर भी रोक लगा दी। 2017 में फिर आंदोलन किया गया। सरकार ने एक बार फिर एमबीसी बिल पास किया। सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। 2019 में गुर्जरों ने फिर आंदोलन किया और इसके बाद 5 प्रतिशत आरक्षण का नया विधेयक लाया गया। गुर्जर समेत 5 जातियों को एमबीसी आरक्षण लागू है।