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गोंडा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से दो नवजातों की मौत, सीएमओ पर उठे सवाल

गोंडा जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण दो नवजातों की मौत हो गई है, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सीएमओ डॉ. रश्मि वर्मा के विवादास्पद बयान ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। इस घटना ने भ्रष्टाचार के आरोपों को भी फिर से उजागर किया है। जानें पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
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गोंडा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से दो नवजातों की मौत, सीएमओ पर उठे सवाल

स्वास्थ्य विभाग की स्थिति पर सवाल


लखनऊ। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग गंभीर संकट में है, जिसे सुधार की आवश्यकता है। यह स्थिति प्रदेश के विभिन्न जिलों से आ रही भ्रष्टाचार की घटनाओं से स्पष्ट होती है।


गोंडा जिले में एक अवैध नर्सिंग होम में 24 घंटे के भीतर दो नवजातों की मौत ने इस समस्या को उजागर किया है। बहराइच रोड पर बिना रजिस्ट्रेशन के न्यू बॉर्न इंसेंटिव केयर यूनिट (NICU) चलाया जा रहा था, जहां यह दुखद घटना हुई।


बड़गांव के निवासी मोहित कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी की डिलीवरी जिला महिला अस्पताल में हुई थी, जहां डॉक्टर ने बताया कि बच्चे ने गंदा पानी पी लिया है। इसके बाद उन्हें डॉ. परवेज इकबाल खान के अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई।


मोहित ने कहा कि अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने तुरंत फीस जमा करने को कहा। उन्होंने 1,000 रुपये जमा किए, लेकिन चार दिन बाद उन्हें बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है। जब उन्होंने बच्चे को लेने की कोशिश की, तो अस्पताल ने 49,000 रुपये की मांग की।


मोहित ने डॉक्टर से पूछा कि बच्चे की मौत कैसे हुई, तो डॉक्टर ने कहा कि उन्हें नहीं पता। इसके बाद उन्होंने पुलिस को बुलाया और मामले की शिकायत की।


दूसरी घटना कटरा बाजार में हुई, जहां विनय सिंह की पत्नी ने 10 सितंबर को प्रसव किया। नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे भी डॉ. परवेज के नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां 11 सितंबर को दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई।


सीएमओ का विवादास्पद बयान


गोंडा की सीएमओ डॉ. रश्मि वर्मा ने बच्चों की मौत पर एक विवादास्पद बयान दिया, जिससे उनकी संवेदनहीनता उजागर हुई। उन्होंने कहा कि एक बच्चे की मौत से क्या होता है, हजारों जिंदा हैं। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना हो रही है।


डॉ. रश्मि वर्मा का रिकॉर्ड भी विवादों से भरा रहा है। उन्हें पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है।


जांच रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता का खुलासा


गोंडा जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर दवाओं और उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर घोटाले का आरोप है। हाल ही में एक जांच रिपोर्ट में 3 करोड़ 93 लाख रुपये के सरकारी धन के बंदरबांट का खुलासा हुआ है, जिसमें गोंडा सीएमओ समेत कई अधिकारी दोषी पाए गए हैं।