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चंडी माता मंदिर: चंडीगढ़ का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल

चंडी माता मंदिर, जो हरियाणा के पंचकूला में स्थित है, न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह चंडीगढ़ शहर की पहचान से भी जुड़ा है। देवी चंडी को समर्पित इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है, जिसमें स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यात्रा और नामकरण की कहानी शामिल है। यहां श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या इस स्थान की धार्मिक महत्ता को दर्शाती है। जानें इस मंदिर की शक्ति और मान्यता के बारे में।
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चंडी माता मंदिर: चंडीगढ़ का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल

चंडी माता मंदिर का इतिहास

हरियाणा के पंचकूला जिले में स्थित चंडी माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारत के खूबसूरत शहर चंडीगढ़ की पहचान से भी जुड़ा हुआ है। यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है, जिन्हें मां दुर्गा का शक्तिशाली रूप माना जाता है।


यहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जो इस मंदिर की धार्मिक महत्ता को दर्शाता है। चंडी माता मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।


चंडी माता मंदिर का नामकरण

कहा जाता है कि स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पंजाब के पूर्व राज्यपाल चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने मंदिर की भव्यता को देखकर बहुत प्रभावित हुए।


उनकी यात्रा के बाद, उन्होंने यह घोषणा की कि यहां बसाए जाने वाले नए शहर का नाम चंडी माता के नाम पर रखा जाएगा। मंदिर के निकट स्थित प्राचीन किले को स्थानीय लोग 'गढ़' कहते थे, जिससे चंडी और गढ़ मिलकर चंडीगढ़ बना।


यह कहानी आज भी शहर की सांस्कृतिक धरोहर में जीवित है।


चंडी देवी की शक्ति और मान्यता

चंडी देवी को बुराई का नाशक और भक्तों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने भी यहां पूजा की थी और देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया था।


यह मंदिर चंडीगढ़-कालका रोड पर स्थित है और चंडीगढ़ शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है।


यह धार्मिक स्थल आज भी राज्य के प्रमुख पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।