Newzfatafatlogo

चंडीगढ़ GMCH में MD/MS सीटों पर विवाद: 75% AIQ आवंटन पर हाई कोर्ट का निर्णय

चंडीगढ़ के राजकीय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) में MD/MS सीटों के आवंटन को लेकर विवाद गहरा गया है। कॉलेज प्रशासन ने तीसरे काउंसलिंग राउंड में 75% सीटें ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के तहत आवंटित की हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह कोटा अधिकतम 50% होना चाहिए। इस निर्णय ने स्थानीय छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी पैदा की है, जो इसे अन्यायपूर्ण मानते हैं। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 | 
चंडीगढ़ GMCH में MD/MS सीटों पर विवाद: 75% AIQ आवंटन पर हाई कोर्ट का निर्णय

चंडीगढ़ GMCH में MD/MS सीटों का विवाद

चंडीगढ़ के राजकीय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH-32) में MD/MS सीटों के आवंटन को लेकर विवाद बढ़ गया है। कॉलेज प्रशासन ने तीसरे काउंसलिंग राउंड में ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के तहत 75% सीटें आवंटित की हैं, जबकि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह कोटा अधिकतम 50% होना चाहिए।


यह विवाद तब शुरू हुआ जब सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने डोमिसाइल कोटा को अवैध करार दिया। इसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने 50% सीटों को संस्थान-प्राथमिकता (IP) और AIQ के बीच बांटने का निर्णय लिया, जिसमें 18 सीटें IP को दी गईं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस व्यवस्था को मान्यता दी, लेकिन तीसरे राउंड में 32 बचे सीटों में से 16 को AIQ में डालकर हिस्सेदारी 75% कर दी गई।


इस निर्णय के कारण GMCH के स्थानीय छात्रों के लिए सीटों की संख्या कम हो गई, जिससे प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगा। छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि यह निर्णय न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि दिल्ली एम्स जैसे संस्थानों का गलत फायदा उठाने की कोशिश भी है।


सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2025 में स्पष्ट किया था कि डोमिसाइल कोटा समाप्त होने के बाद सीटों का आवंटन 50% AIQ और 50% IP/ओपन मेरिट के आधार पर होना चाहिए, और यह व्यवस्था अपरिवर्तनीय है।


इस विवाद ने स्थानीय छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी पैदा की है, जो GMCH प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करता है, बल्कि स्थानीय छात्रों के अवसरों को भी सीमित करता है। इस मामले ने चंडीगढ़ के मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में नीतिगत सुधारों की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है।