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चंडीगढ़ अस्पताल में बच्ची की मौत पर परिजनों का हंगामा, डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप

चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में एक छह महीने की बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिवार का कहना है कि यदि डॉक्टर समय पर इलाज करते, तो बच्ची की जान बचाई जा सकती थी। घटना के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और मामले की जांच की मांग की है। यह मामला सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
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चंडीगढ़ अस्पताल में बच्ची की मौत पर परिजनों का हंगामा, डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप

चंडीगढ़ में बच्ची की मौत के बाद परिजनों का आक्रोश


(चंडीगढ़ समाचार) चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सेक्टर-16 स्थित सरकारी अस्पताल में एक छह महीने की बच्ची की मृत्यु के बाद उसके परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। मृतक बच्ची की पहचान मौलीजागरा निवासी चंचल के रूप में हुई है। परिवार का कहना है कि यदि डॉक्टर समय पर उचित इलाज करते, तो बच्ची की जान बचाई जा सकती थी।


बच्ची को दो दिन पहले किया गया था भर्ती

परिजनों के अनुसार, चंचल को उल्टी और दस्त की समस्या के चलते दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद, सोमवार दोपहर लगभग 12 बजे डॉक्टरों ने उसे छुट्टी दे दी।


तबीयत बिगड़ने पर नहीं मिला समय पर इलाज

मंगलवार सुबह करीब 10:30 बजे चंचल की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिजन उसे तुरंत अस्पताल की इमरजेंसी में ले गए। पिता सूरज ने आरोप लगाया कि उन्होंने बार-बार डॉक्टरों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने बच्ची की जांच नहीं की। लगभग डेढ़ घंटे तक वे इमरजेंसी में सहायता के लिए भटकते रहे, और करीब 12 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया।


पुलिस से की गई शिकायत, जांच की मांग

परिवार ने घटना की सूचना तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को दी और मंगलवार को एसएसपी कंवरदीप कौर से मिलकर लिखित शिकायत भी दर्ज कराई। पिता सूरज ने कहा कि यदि डॉक्टर समय पर उनकी बच्ची को देख लेते, तो वह आज हमारे साथ होती।


अस्पताल प्रशासन की चुप्पी, जवाब का इंतजार

घटना के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। जब चंडीगढ़ दिनभर ने सेक्टर-16 अस्पताल की डायरेक्टर डॉ. सुमन सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं है और वे इसकी जांच करवाएंगी।


प्रश्न जो उत्तर मांगते हैं:

• इमरजेंसी में समय पर इलाज क्यों नहीं मिला?
• डिस्चार्ज के अगले ही दिन बच्ची की तबीयत क्यों बिगड़ी?
• क्या अस्पताल प्रशासन जिम्मेदारी तय करेगा या मामला दबा दिया जाएगा?


सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली पर सवाल

यह केवल एक बच्ची की मृत्यु का मामला नहीं है, बल्कि सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह है कि क्या जांच होती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह कागजों में दफ्न होकर रह जाएगा।