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चंडीगढ़ को अलग प्रशासक देने का प्रस्ताव: पंजाब में राजनीतिक हलचल

केंद्र सरकार चंडीगढ़ को एक अलग प्रशासक देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक-2025 लाने की योजना बना रही है, जिससे पंजाब की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है, जिसमें आम आदमी पार्टी और कांग्रेस शामिल हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे पंजाब की पहचान पर हमला बताया है। इस विधेयक के तहत चंडीगढ़ को सीधे केंद्र शासित क्षेत्र बनाया जाएगा, जिससे पंजाब का प्रशासनिक नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। राजनीतिक दलों के विरोध और सोशल मीडिया पर बढ़ते दबाव के बीच, सभी की नजरें इस विधेयक के संसद में पेश होने पर हैं।
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चंडीगढ़ को अलग प्रशासक देने का प्रस्ताव: पंजाब में राजनीतिक हलचल

संविधान संशोधन विधेयक-2025 का प्रस्ताव


नई दिल्ली: केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक-2025 पेश करने की योजना बना रही है। इस विधेयक के माध्यम से चंडीगढ़ को पंजाब के राज्यपाल के अधिकारों से मुक्त कर एक अलग प्रशासक, यानी लक्ष्यात्मक एलजी (Lieutenant Governor) नियुक्त किया जा सकेगा। वर्तमान में, पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ के प्रशासक हैं। इस प्रस्ताव के सामने आते ही पंजाब की राजनीतिक स्थिति में हलचल मच गई है, और विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।


संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत बदलाव

इस विधेयक के अनुसार, चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत लाया जाएगा। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति को इस केंद्र शासित प्रदेश के लिए सीधे कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होगा। यह व्यवस्था उन केंद्र शासित प्रदेशों के समान होगी जिनमें विधानसभा नहीं है, जैसे अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, दमन एवं दीव। इस परिवर्तन से चंडीगढ़ पर पंजाब का प्रशासनिक नियंत्रण समाप्त हो जाएगा और इसे सीधे केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया जाएगा।


राजनीतिक प्रतिक्रिया और विरोध

जैसे ही यह प्रस्ताव सामने आया, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे पंजाब की पहचान पर हमला बताते हुए कहा, 'BJP की केंद्र सरकार द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को खत्म करने की कोशिश पंजाब की संवैधानिक और पहचान पर सीधा हमला है। यह पंजाबियों के हक छीनने की मानसिकता बेहद खतरनाक है।'


पंजाब की पहचान पर चोट

केजरीवाल ने आगे कहा, 'जिस पंजाब ने देश की सुरक्षा, अनाज, पानी और इंसानियत के लिए हमेशा बलिदान दिया, आज उसी पंजाब को उसके हिस्से से वंचित किया जा रहा है। यह केवल प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि पंजाब की आत्मा पर चोट पहुंचाने जैसा है। चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब का रहेगा।' पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इसे पंजाब के हितों के खिलाफ साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब के गांवों को उजाड़कर बनाया गया शहर है और इसलिए उस पर सिर्फ पंजाब का हक है।


अकाली दल का विरोध

अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि संविधान संशोधन बिल का उद्देश्य चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को समाप्त करना है। उन्होंने सोमवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी ऑफिस में कोर कमेटी की आपातकालीन बैठक बुलाई। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि अकाली दल इस कदम का हर स्तर पर मुकाबला करेगा और इसे सफल नहीं होने देगा। सुखबीर सिंह बादल ने दोहराया कि चंडीगढ़ पर पंजाब का हक किसी भी हालत में समझौते लायक नहीं है।


आर्टिकल 240 का महत्व

आर्टिकल 240 भारत के राष्ट्रपति को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आवश्यक नियम और कानून बनाने का अधिकार देता है। वर्तमान में इसका उपयोग अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, दमन एवं दीव और पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में होता है। एक शर्त यह भी है कि यदि किसी UT में आर्टिकल 239A के तहत विधानसभा बनाई गई है, तो उस विधानसभा की पहली बैठक के बाद राष्ट्रपति वहां कोई नया नियम या रेगुलेशन नहीं बना सकते।


आर्टिकल 240 के तहत राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए रेगुलेशन का प्रभाव पुराने कानून या संसद के बनाए कानून को बदलने या खत्म करने जितना ही होता है। यह संसद के कानून के बराबर ताकत वाला माना जाता है। इस संशोधन विधेयक ने पंजाब में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम न सिर्फ प्रशासनिक बदलाव है, बल्कि पंजाब की पहचान, संवैधानिक अधिकार और संघीय ढांचे पर हमला है। राजनीतिक दलों के विरोध और सोशल मीडिया पर बढ़ते दबाव के बीच अब सबकी नजरें इस विधेयक के संसद में पेश होने और उसके परिणाम पर हैं।