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चंडीगढ़ में नर्सिंग भर्ती पर कैट का स्टे, कोविड नर्सों को प्राथमिकता नहीं मिलने का विवाद

चंडीगढ़ के जीएमसीएच में 27 नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती पर कैट ने रोक लगा दी है। कोविड-19 में ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता न देने के विवाद ने यह मामला उठाया है। कैट ने स्पष्ट किया है कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं होता, तब तक ये पद रिक्त रहेंगे। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अगली सुनवाई की तारीख।
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चंडीगढ़ में नर्सिंग भर्ती पर कैट का स्टे, कोविड नर्सों को प्राथमिकता नहीं मिलने का विवाद

चंडीगढ़ में नर्सिंग भर्ती पर रोक

चंडीगढ़, नर्सिंग भर्ती: चंडीगढ़ के जीएमसीएच-32 में 27 नर्सिंग अधिकारियों की नियुक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, लेकिन केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने इस पर रोक लगा दी है। इन नर्सों की अनुबंध सेवाएं 31 अगस्त को समाप्त होने वाली थीं, लेकिन कैट ने इस पर स्थगन आदेश जारी किया है। इसके साथ ही, जीएमसीएच में नर्सिंग ऑफिसर के 424 खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी अगले आदेश तक रोक दी गई है। उल्लेखनीय है कि जीएमसीएच ने कोविड-19 के दौरान ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता देने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 3 मई 2021 के निर्देशों की अनदेखी की, जिससे यह विवाद उत्पन्न हुआ। कैट ने स्पष्ट किया कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं होता, तब तक ये पद खाली रहेंगे। अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.


कोविड नर्सों को प्राथमिकता न मिलने का कारण

कोविड नर्सों को क्यों नहीं मिली प्राथमिकता?


कैट में आवेदकों ने बताया कि जीएमसीएच ने बार-बार कोविड में ड्यूटी करने वालों को प्राथमिकता देने से इनकार किया। 9 नवंबर 2021 को 162 नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती के लिए नोटिस जारी हुआ, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों की अनदेखी की गई। फिर 29 जून 2022 को 8 स्टाफ नर्स के पदों के लिए नोटिस में कोविड ड्यूटी वालों को 10 अंक देने की बात कही गई। लेकिन 4 अप्रैल 2025 को तीसरे नोटिस में फिर कोविड नर्सों को प्राथमिकता नहीं दी गई। 7 अगस्त को जीएमसीएच ने आउटसोर्सिंग से नियुक्त नर्सों की सेवाएं 31 अगस्त से खत्म करने का आदेश दिया। इसके बाद 14 अगस्त को 93 नर्सिंग अधिकारियों को सीनियर नर्सिंग ऑफिसर कैडर में प्रमोट किया गया, जिससे रिक्तियों की संख्या बढ़कर 424 हो गई.


जीएमसीएच का तर्क और कैट का उत्तर

जीएमसीएच का तर्क और कैट का जवाब


जीएमसीएच के वकील ने कैट में दलील दी कि आवेदकों को अंतरिम राहत देना अंतिम राहत के बराबर होगा। उनका कहना था कि ये नर्सें आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्त थीं, इसलिए जीएमसीएच और उनके बीच ‘मालिक-नौकर’ का रिश्ता नहीं है। लेकिन आवेदकों के वकील ब्रजेश मित्तल ने बताया कि कोविड के दौरान इन नर्सों को पहले आउटसोर्सिंग एजेंसी और बाद में स्वास्थ्य विभाग ने सीधे नियुक्त किया था। 16 मई 2022 से इन्हें फिर निजी एजेंसी के तहत रखा गया.


प्राकृतिक न्याय का मुद्दा

‘प्राकृतिक न्याय’ का सवाल


कैट की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्थायी कर्मचारियों को बिना नोटिस या कारण के बर्खास्त करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है। यह प्रथा कर्मचारियों को हमेशा असुरक्षा में रखती है, चाहे उनकी सेवा की गुणवत्ता या अवधि कुछ भी हो। बेंच ने इसे शोषण का एक रूप बताया और कहा कि यह नियमित रोजगार देने की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है। इसलिए, अगले आदेश तक आउटसोर्स नर्सों की सेवाएं खत्म नहीं होंगी और जीएमसीएच में भर्ती पर भी रोक रहेगी.