चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस वीडियो पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए

चंडीगढ़ हाईकोर्ट की सख्ती
चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों द्वारा ड्यूटी के दौरान बनाए गए वीडियो और तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा करने पर सख्त कार्रवाई की है। जस्टिस कुलदीप तिवारी ने चंडीगढ़ के डीजीपी को निर्देश दिया है कि वे इस संबंध में तीन महीने के भीतर स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलिस अधिकारियों द्वारा बनाए गए वीडियो या तस्वीरें अपलोड करने से जांच एजेंसी, पीड़ित या आरोपी को कोई नुकसान न पहुंचे।
वीडियो अपलोडिंग पर हाईकोर्ट की सख्ती
चूंकि पुलिस प्रशासन ने सोशल मीडिया से संबंधित वीडियो हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं, इसलिए इस मामले में अतिरिक्त आदेश की आवश्यकता नहीं है। सुनवाई के दौरान बताया गया कि एसएसपी (ट्रैफिक) ने विशेष निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत चालानिंग या अन्य प्रवर्तन गतिविधियों से संबंधित वीडियो या तस्वीरें किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं की जाएंगी।
इस मामले में एसएसपी ने एसडीपीओ (साउथ) को जांच सौंप दी है। वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति की पहचान की जा रही है। इसके अलावा, एक वकील की याचिका भी है, जिसमें सोशल मीडिया पर वीडियो के निजता के अधिकार का उल्लंघन होने का मामला उठाया गया है। यह मामला एक वकील के वायरल वीडियो से संबंधित है, जिसमें वह ट्रैफिक पुलिस से बहस कर रहा है। उसे गाड़ी की नंबर प्लेट पर कपड़ा लटकाने के कारण रोका गया था।
वीडियो में वकील खुद को न्यायिक मजिस्ट्रेट बताता है और मौके से भागने की कोशिश करता है। न्यायिक अधिकारी होने का झूठा दावा करने पर उसे गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। वकील ने वीडियो को निजता का उल्लंघन बताते हुए इसे हटाने की मांग की थी। याचिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से वीडियो हटाने और उसे 'डि-इंडेक्स' एवं 'डि रेफरेंस' करने का आग्रह किया गया था, ताकि यह सर्च इंजन परिणामों में न आए।
याचिका में यह भी दावा किया गया था कि वीडियो पुलिस अधिकारियों द्वारा लीक किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त निजता के अधिकार का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने पूछा कि यदि आधिकारिक वॉट्सएप ग्रुप में जांच से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा की जाती है, तो यह किस आधिकारिक क्षमता और दिशा-निर्देशों के तहत किया गया। कांस्टेबल योगेश का मोबाइल फोन जल्द ही जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा।