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चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में टैरिफ स्थगन पर सहमति

चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध में राहत की एक नई खबर आई है। दोनों देश स्टॉकहोम में होने वाली वार्ता में टैरिफ स्थगन को अगले 90 दिनों तक बढ़ाने पर सहमत हो सकते हैं। यह कदम तनाव को कम करने और आर्थिक संबंधों को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण है। वार्ता में फेंटानिल टैरिफ का मुद्दा भी उठाया जाएगा, जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सामाजिक नीतियों को प्रभावित करता है। जानें इस वार्ता का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में टैरिफ स्थगन पर सहमति

चीन और अमेरिका के व्यापार युद्ध में राहत

चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार संघर्ष में एक सकारात्मक विकास सामने आया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश स्टॉकहोम में 28 जुलाई 2025 से शुरू होने वाली व्यापार वार्ता में टैरिफ स्थगन को अगले 90 दिनों तक बढ़ाने पर सहमत होने जा रहे हैं। यह जानकारी मामले से जुड़े सूत्रों द्वारा साझा की गई है। 


90 दिन का टैरिफ स्थगन

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस 90 दिन की अवधि के दौरान अमेरिका और चीन नए टैरिफ लागू करने या ऐसे कदम उठाने से बचेंगे, जो व्यापार युद्ध को और बढ़ा सकते हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और आर्थिक संबंधों को स्थिर करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।


फेंटानिल टैरिफ पर चर्चा

पिछली जिनेवा और लंदन वार्ताओं में 'तनाव कम करने' पर ध्यान केंद्रित किया गया था, लेकिन इस बार स्टॉकहोम में होने वाली बैठक में चीनी प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी व्यापार टीम से फेंटानिल से संबंधित टैरिफ के मुद्दे पर भी जोर देगा। रिपोर्ट के अनुसार, यह मुद्दा वार्ता में प्रमुखता से उठाया जाएगा। फेंटानिल टैरिफ का विषय दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सामाजिक नीतियों को प्रभावित करने वाला एक संवेदनशील मुद्दा है।


तीसरे दौर की वार्ता

यह वार्ता अमेरिका और चीन के बीच तीसरे दौर की चर्चा होगी, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे आर्थिक विवादों को सुलझाना है। इस रिपोर्ट की पुष्टि अभी तक नहीं की गई है, और व्हाइट हाउस ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 


वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

यह टैरिफ स्थगन वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। दोनों देशों के बीच सहमति से वैश्विक बाजारों में स्थिरता की उम्मीद बढ़ी है। स्टॉकहोम वार्ता का परिणाम न केवल द्विपक्षीय संबंधों, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण होगा.