चीन की सैन्य परेड: राष्ट्रीय गौरव और वैश्विक प्रभाव का प्रदर्शन

चीन की भव्य सैन्य परेड
चीन की सैन्य परेड: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 3 सितंबर को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया। यह केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसमें ऐतिहासिक, भू-राजनीतिक और राष्ट्रीय गर्व का गहरा संदेश भी छिपा था। इस परेड का आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया।
- प्रथम सिनो-जापानी युद्ध (1894-1895) - कोरिया पर नियंत्रण के लिए लड़ा गया, जिसमें जापान की जीत ने ताइवान सहित कई क्षेत्रों पर कब्जा सुनिश्चित किया।
- द्वितीय सिनो-जापानी युद्ध (1937-1945) - जापान का चीन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण, जिसमें नानजिंग नरसंहार (1937-38) हुआ। लाखों चीनी नागरिक और सैनिक मारे गए।
जापान का आत्मसमर्पण - 3 सितंबर 1945 को जापान ने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया। चीन इसे 'विक्ट्री ओवर जापान डे' के रूप में मनाता है। युद्ध के बाद 1972 में जापान और चीन ने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए, लेकिन ऐतिहासिक कटुता और क्षेत्रीय विवाद आज भी बने हुए हैं।
परेड का महत्व और शी जिनपिंग का संदेश
परेड में हजारों सैनिक, टैंक, मिसाइलें, 100 से अधिक लड़ाकू विमान, हाइपरसोनिक मिसाइलें और मानवरहित ड्रोन शामिल थे। इसका उद्देश्य न केवल चीन की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करना था, बल्कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में वैश्विक प्रभाव और राष्ट्रीय गर्व को भी बढ़ावा देना था। इस आयोजन के माध्यम से शी ने जापान के खिलाफ ऐतिहासिक नैरेटिव को मजबूत किया और यह दिखाया कि चीन किसी भी बाहरी चुनौती का सामना कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक प्रभाव
परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन और ईरान के राष्ट्रपति सहित 26 देशों के नेता शामिल हुए। यह परेड पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और ताइवान के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। जापान ने इसे जापान-विरोधी भावनाओं को भड़काने का प्रयास माना।
शी जिनपिंग ने इतिहास का सहारा लेकर राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति को मजबूत करने की कोशिश की। आर्थिक सुस्ती और घरेलू चुनौतियों के बीच, यह परेड पार्टी के समर्थन को बढ़ाने और ताइवान पर बीजिंग के दावों को वैध ठहराने का एक अवसर भी थी।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संदेश
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए यह परेड एक स्पष्ट संदेश देती है कि चीन किसी भी बाहरी चुनौती का सामना कर सकता है। इसके साथ ही, यह इतिहास को राष्ट्रीय गर्व और वैश्विक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करने की रणनीति का हिस्सा है।