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चीन के हैकर समूह 'सॉल्ट टायफून' ने अमेरिका में किया बड़ा साइबर हमला

अमेरिकी अधिकारियों ने खुलासा किया है कि चीन के हैकर समूह 'सॉल्ट टायफून' ने पिछले वर्ष 80 से अधिक देशों में एक बड़ा साइबर हमला किया। इस हमले में अमेरिका के नागरिकों की जानकारी, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस शामिल हैं, चोरी हो गई। यह हमला टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को निशाना बनाकर किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की साइबर क्षमताओं का नया अध्याय हो सकता है। जानें इस हमले के पीछे की कहानी और इसके गंभीर परिणाम।
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चीन के हैकर समूह 'सॉल्ट टायफून' ने अमेरिका में किया बड़ा साइबर हमला

साइबर हमले का खुलासा

Salt Typhoon Cyberattack : एक साल की जांच के बाद, अमेरिकी अधिकारियों ने यह जानकारी दी है कि चीन से जुड़े एक हैकर समूह 'सॉल्ट टायफून' ने पिछले वर्ष 80 से अधिक देशों में एक बड़ा साइबर हमला किया। इस हमले में अमेरिका के नागरिकों की जानकारी, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं, चोरी हो गई। यह हमला टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों की प्रणालियों को निशाना बनाकर किया गया, जिससे लोगों की नेटवर्क गतिविधियों पर दीर्घकालिक निगरानी की जा सके। आइए इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं...


डोनाल्ड ट्रंप और जेडी वेंस भी थे निशाने पर

डोनाल्ड ट्रंप और जेडी वेंस भी बने थे निशाना
एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी जेडी वेंस के मोबाइल फोन भी इस साइबर हमले का लक्ष्य बने थे। हैकर्स ने न केवल कॉल्स को सुना, बल्कि टेक्स्ट संदेश, फाइल्स और अन्य संवेदनशील जानकारियों तक भी पहुंच बनाई।


सामान्य नागरिकों के साथ राजनेताओं और जासूसों को भी निशाना बनाया गया

सामान्य नागरिको के साथ राजनेताओं,जासूसों को भी निशाना...
जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि यह हमला साधारण डाटा चोरी से कहीं अधिक गंभीर था। 'सॉल्ट टायफून' ने न केवल आम नागरिकों की जानकारियाँ इकट्ठा की, बल्कि राजनेताओं, जासूसों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी निशाना बनाया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की साइबर क्षमताओं का एक नया अध्याय हो सकता है, जो उसकी वैश्विक प्रभाव की महत्वाकांक्षा को उजागर करता है।


चीनी तकनीकी कंपनियों का संलिप्तता

तीन चीनी तकनीकी कंपनियों से जुड़ाव
जांच में यह भी सामने आया कि इस साइबर हमले के पीछे कम से कम तीन चीनी टेक कंपनियों का हाथ था, जिनका पहले से चीन की सेना और खुफिया एजेंसियों से संबंध रहा है। इन कंपनियों ने तकनीकी सहायता और ढांचे प्रदान कर इस हमले को अंजाम दिया।


हैकिंग का दायरा और गंभीरता

हैकिंग का दायरा और गंभीरता
पूर्व एफबीआई अधिकारी सिंथिया काइजर ने बताया कि यह हमला पहले की किसी भी साइबर घटना से बड़ा था। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई भी अमेरिकी इससे बच पाया होगा, हमले का दायरा बेहद व्यापक था।" अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, जापान, इटली, फिनलैंड और स्पेन द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि हमले का लक्ष्य केवल सरकारी तंत्र नहीं, बल्कि संचार, परिवहन, सैन्य, और आतिथ्य सेवाओं जैसे प्रमुख ढांचों को कमजोर करना था।


सामान्य नागरिक भी चपेट में, उद्देश्य अस्पष्ट

सामान्य नागरिक भी चपेट में, उद्देश्य अस्पष्ट
हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हैकर्स का मुख्य उद्देश्य आम लोगों की जानकारी इकट्ठा करना था या फिर यह जानकारी हमले के दौरान अनजाने में हासिल हो गई। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का हमला भविष्य में और भी बड़े खतरे पैदा कर सकता है।