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चीन में बढ़ता 'फेक ऑफिस' ट्रेंड: बेरोजगारी से बचने का अनोखा तरीका

चीन में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या ने युवाओं को 'फेक ऑफिस' के अनोखे ट्रेंड की ओर धकेल दिया है। यहां युवा नौकरी का दिखावा करते हैं, जबकि असल में वे केवल समय बिता रहे होते हैं। इस लेख में जानें कि कैसे ये युवा अपनी इज्जत बचाने के लिए नकली दफ्तरों का सहारा ले रहे हैं और इसके पीछे की वजहें क्या हैं। क्या यह ट्रेंड भविष्य में और बढ़ेगा? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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चीन में बढ़ता 'फेक ऑफिस' ट्रेंड: बेरोजगारी से बचने का अनोखा तरीका

फेक ऑफिस का चलन

फेक ऑफिस ट्रेंड: चीन इस समय गंभीर बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहा है। लाखों शिक्षित युवा नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन अवसरों की कमी ने उन्हें एक अजीब और चौंकाने वाले ट्रेंड की ओर धकेल दिया है - 'फेक ऑफिस'। यहां युवाओं को नौकरी नहीं मिलती, बल्कि नौकरी करने का दिखावा करने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं।


फेक ऑफिस का उद्देश्य

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन में युवा अपनी बेरोजगारी को छिपाने के लिए ऐसे नकली दफ्तरों का सहारा ले रहे हैं। यहां वे 9 घंटे से अधिक समय तक ऑफिस में बैठते हैं, बातचीत करते हैं, गेम खेलते हैं और परिवार को तस्वीरें भेजते हैं ताकि उन्हें लगे कि वे काम कर रहे हैं।


बेरोजगारी की बढ़ती दर

क्यों बढ़ा 'फेक ऑफिस' का चलन?

चीन में युवा बेरोजगारी दर 14% से अधिक हो गई है। समाज में बेरोजगार होना शर्मनाक माना जाता है, इसलिए युवा अपनी इज्जत बचाने के लिए नकली ऑफिस का सहारा ले रहे हैं। यहां काम तो नहीं होता, लेकिन नौकरी जैसा माहौल जरूर बनाया जाता है।


फेक ऑफिस में दिनचर्या

बातें होती हैं, गेम खेलते हैं और साथ में...

डोंगगुआन शहर के 30 वर्षीय शुई झोउ रोज सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक नकली ऑफिस में बैठते हैं। वे चाय पीते हैं, सहकर्मियों से बातें करते हैं और कभी-कभी देर तक वहीं रुक भी जाते हैं। इसके लिए उन्हें रोजाना लगभग 30 युआन (लगभग 420 रुपये) खर्च करने पड़ते हैं। शुई झोउ बताते हैं कि मैं यहां अपने माता-पिता को तस्वीरें भेजता हूं ताकि उन्हें लगे कि मैं नौकरी कर रहा हूं। यहां दोस्त मिलते हैं, बातें होती हैं, गेम खेलते हैं और साथ में डिनर करते हैं। इससे मुझे पहले से ज्यादा खुशी मिलती है।


शिक्षा के लिए फेक नौकरी

डिग्री और इंटर्नशिप के लिए नकली नौकरी

शंघाई की 23 वर्षीय शियाओवेन टांग ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय ने डिग्री के लिए नौकरी या इंटर्नशिप का प्रमाण मांगा था। मजबूरी में उन्होंने एक महीने के लिए 'प्रिटेंड ऑफिस' में सीट किराए पर ली और वहां बैठकर ऑनलाइन उपन्यास लिखते हुए तस्वीरें यूनिवर्सिटी को भेज दीं।


फेक ऑफिस का व्यवसाय

'इज्जत बेचने वाला बिजनेस'

इस अजीब बिजनेस मॉडल के पीछे इसके फाउंडर फेइयू हैं। उन्होंने कोरोना महामारी में अपना रिटेल कारोबार खो दिया था और अप्रैल में 'प्रिटेंड टू वर्क कंपनी' की शुरुआत की। उनका कहना है कि मैं डेस्क या वर्कस्टेशन नहीं बेच रहा, बल्कि इंसान को बेकार महसूस ना होने की इज्जत बेच रहा हूं।


फेक ऑफिस में आने वाले लोग

इन नकली ऑफिस में कौन आते हैं?

मीडिया रिपोर्ट बताती है कि यहां आने वालों में 40% युवा डिग्री के लिए नकली इंटर्नशिप सर्टिफिकेट बनवाते हैं। बाकी 60% फ्रीलांसर होते हैं, जैसे ऑनलाइन बिजनेस, ई-कॉमर्स या राइटिंग का काम करने वाले। इनमें औसत उम्र 30 साल है, जबकि सबसे कम उम्र 25 साल बताई जाती है।