चीराला की कुप्पडम सिल्क साड़ी को मिला राष्ट्रीय सम्मान
आंध्र प्रदेश के चीराला की प्रसिद्ध कुप्पडम सिल्क साड़ी ने अपने बुनकर बल्ला वेंकट रमण के लिए 'राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार 2023' जीता है। इस साड़ी की विशेष बुनाई तकनीक और इसकी जटिलता इसे अद्वितीय बनाती है। वेंकट रमण ने इस कला को अपने पिता से सीखा है और पिछले 25 वर्षों से इसे जीवित रखा है। जानें इस साड़ी की विशेषताएँ और पुरस्कार समारोह के बारे में।
Jun 14, 2025, 12:49 IST
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कुप्पडम सिल्क साड़ी का राष्ट्रीय सम्मान
चीराला (बापटला जिला), आंध्र प्रदेश: चीराला की मशहूर 'कुप्पडम सिल्क साड़ी' ने अपने कारीगर के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। इस साड़ी के निर्माता, मास्टर बुनकर बल्ला वेंकट रमण को 'राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार 2023' के लिए नामांकित किया गया है।कुप्पडम साड़ी अपनी विशेष बुनाई तकनीक के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 'अड्डेकम' या '3-शटल' तकनीक कहा जाता है। इस प्रक्रिया में साड़ी के बॉर्डर और मुख्य भाग को अलग-अलग बुना जाता है और फिर उन्हें एक साथ जोड़कर एक अद्भुत रूप दिया जाता है। यह एक जटिल और कलात्मक कार्य है, जो इस साड़ी को विशेष बनाता है।
बल्ला वेंकट रमण ने पिछले 25 वर्षों से इस कला को जीवित रखा है। उन्होंने अपने पिता से यह कौशल सीखा और आज भी इस पारंपरिक कला को बनाए रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि एक कुप्पडम साड़ी बनाने में लगभग पांच दिन लगते हैं और इसकी कीमत 12,000 से 15,000 रुपये के बीच होती है।
इस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित होने पर उन्होंने अपनी खुशी व्यक्त की। यह पहली बार नहीं है जब उनकी कला को मान्यता मिली है; उन्हें 2017 में राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार 7 अगस्त को 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' के अवसर पर प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार न केवल वेंकट रमण के कौशल का सम्मान है, बल्कि चीराला की बुनकर बिरादरी और उनकी समृद्ध विरासत के लिए भी गर्व का क्षण है।