चेन्नई-सूरत एक्सप्रेसवे: यात्रा समय में कमी और बेहतर कनेक्टिविटी

चेन्नई-सूरत एक्सप्रेसवे का महत्व
Chennai-Surat Expressway: चेन्नई-सूरत एक्सप्रेसवे को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक माना जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य वर्तमान में जारी है। यह 8 लेन वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे तमिलनाडु के चेन्नई को गुजरात के सूरत से जोड़ेगा, जिसकी कुल लंबाई लगभग 1,271 किलोमीटर होगी। यह मार्ग आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे महत्वपूर्ण राज्यों से होकर गुजरेगा। इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने पर यात्रा का समय लगभग 6 घंटे कम हो जाएगा, जिससे लोग मुंबई, पुणे, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे व्यस्त शहरों से बच सकेंगे।
दूरी में कमी
330 किमी कम होगी दूरी
यह 8 लेन वाली ग्रीनफील्ड परियोजना 45,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है और इसमें प्रवेश नियंत्रित डिजाइन मानक शामिल हैं। यह एक्सप्रेसवे उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक सीधा और सरल मार्ग प्रदान करेगा, जिससे यात्रियों को मुंबई, पुणे, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों से राहत मिलेगी। नया मार्ग यात्रा की दूरी को लगभग 330 किमी कम करेगा, जिससे यात्रियों और मालवाहक वाहनों के लिए तेज और सुरक्षित आवागमन संभव होगा।
लाभ और संभावनाएं
क्या होगा फायदा?
इस एक्सप्रेसवे की अनुमानित पूर्णता तिथि 2027 है। कुल 14 पैकेजों में से, पैकेज IV का कार्य पूरा होने वाला है। यह एक्सप्रेसवे एनएच-44 (कश्मीर से कन्याकुमारी) और एनएच-16 (चेन्नई से कोलकाता) जैसे मौजूदा राजमार्गों पर भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे यात्रियों को यात्रा में आसानी होगी। यह दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों को जोड़कर आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा और व्यापार को सरल बनाएगा। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
पर्यटन को बढ़ावा
पर्यटन को बढ़ावा
बेहतर पहुंच से पश्चिमी घाट, मध्य महाराष्ट्र, कर्नाटक के कुछ हिस्सों और पश्चिमी आंध्र प्रदेश में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है। निर्माण के बाद की गतिविधियों से रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा होने का अनुमान है। एक्सप्रेसवे कृषि को भी बढ़ावा देगा, औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करेगा और जुड़े हुए क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करेगा।