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छत्तीसगढ़ में RTE कानून पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं। भिलाई के सामाजिक कार्यकर्ता भगवंत राव की याचिका पर सुनवाई के दौरान, अदालत ने अमीर परिवारों के बच्चों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए दाखिला देने की बात कही। कोर्ट ने शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया है। जानें इस मामले में क्या हो रहा है और शिक्षा विभाग की लापरवाही पर क्या सवाल उठाए गए हैं।
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छत्तीसगढ़ में RTE कानून पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

RTE धोखाधड़ी का मामला

RTE धोखाधड़ी: छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून से संबंधित एक गंभीर मामला सामने आया है। भिलाई के सामाजिक कार्यकर्ता भगवंत राव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि गरीब बच्चों का अधिकार छीनकर अमीर परिवारों के बच्चों को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से दाखिला दिया गया है, जो पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है। इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने शिक्षा सचिव की अनुपस्थिति को हल्के में न लेते हुए सख्त चेतावनी दी। अदालत ने कहा, 'हाईकोर्ट को मजाक में न लें।'


अगली सुनवाई की तैयारी

सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली तारीख पर सचिव को स्वयं उपस्थित होकर शपथपत्र देना होगा और यह बताना होगा कि अब तक गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि जब योजना का उद्देश्य गरीब बच्चों को लाभ पहुंचाना है, तो उनकी अनदेखी क्यों की जा रही है और नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।


शिकायतों के बावजूद कार्रवाई की कमी

याचिका में यह दावा किया गया है कि आरटीई की सीटों पर गरीब बच्चों को अधिकार नहीं मिल पा रहा है। शिकायतों के बावजूद शिक्षा विभाग कार्रवाई करने में असफल रहा है। जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अधिकारियों की बेरुखी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। निजी स्कूलों पर आरोप है कि वे आरटीई सीटों को लेकर लापरवाह हैं और नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।


बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में यह चिंता भी व्यक्त की गई है कि बिना मान्यता के नर्सरी और केजी स्तर के निजी स्कूल गली-गली में खोले जा रहे हैं। इन स्कूलों की मान्यता और संचालन पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि इस मुद्दे पर अब सख्ती बरती जाएगी। अगली सुनवाई में शिक्षा सचिव को खुद कोर्ट में पेश होना होगा और सभी सवालों का जवाब देना होगा।